तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी का इस्तीफा

जूनियर कॉलीग से यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे तहलका के संपादक तरुण तेजपाल को बचाने के आरोप का सामना कर रहीं मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने पद से इस्तीफा दिया है। गुरुवार तड़के ईमेल से भेजे गए इस्तीफे में शोमा ने कहा है कि वह नहीं चाहतीं कि कोई उनकी सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाए। शोमा का इस्तीफा पीड़ित पत्रकार द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत के 10 दिनों बाद आया है। इसके साथ ही पीड़त पत्रकार समेत कुल सात पत्रकार पिछले 5 दिनों में तहलका से इस्तीफा दे चुके हैं।

गुरुवार सुबह 6 बजे के करीब भेजे गए अपने इस्तीफे में शोमा ने कहा है, ‘तहलका से जुड़े लोगों के लिए मौजूदा वक्त काफी कठिन है। पीड़ित कॉलीग की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मैंने कुछ कदम उठाए थे। मेरी समझ के मुताबिक, मैंने तुरंत कार्रवाई की और एक महिला व अपनी सहमकर्मी के साथ एकजुटता दिखाई।’

तेजपाल को बचाने और मामले को दबाने की कोशिशों के आरोपों को खारिज करते हुए शोमा ने मेल में लिखा है, ‘उस समय जो तुरंत किया जा सकता था किया गया। इसके बाद मामले की जांच के लिए ऐंटि-सेक्शुअल हरासमेंट कमिटी बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। मामले की शिकायत के बाद कदम उठाने के लिए हमें दो ही दिन मिले थे और स्टोरी प्रेस में आ गई। उसके बाद आधे-अधूरे तथ्यों और चुनिंद हिस्सों के लीक होने की वजह से यह मामला तूल पकड़ता गया।’

शोमा चौधरी ने आगे लिखा है, ‘पिछले एक हफ्ते से मुझ पर इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश और महिलावादी रुख नहीं अपनाने के आरोप लग रहे हैं। मैं स्वीकार करती हूं कि मैं कई चीजों को अलग और नपे-तुले ढंग से कर सकती थी, लेकिन मैं लीपापोती के आरोपों को खारिज करती हूं।’ उन्होंने कहा, ‘अपने महिलावादी रुख को लेकर मेरा मानना है कि मैंने हर चीज पर अपनी कॉलीग की बात को प्राथमिकता देकर उसी के अनुरूप काम किया।’

शोमा ने इस्तीफे में लिखा है, ‘हालांकि, इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को लेकर मेरी ईमानदारी पर हमारी बिरादरी के लोगों द्वारा बार-बार सवाल उठाया जाता रहा है और बड़े पैमाने पर जनता द्वारा भी। मैं इसका संज्ञान लेना चाहूंगी। मैंने कई साल तक तहलका के लिए कड़ा परिश्रम किया है। मैं तहलका की छवि को कलंकित होने से बचाने के लिए अपनी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठने देना चाहती। इसलिए, मैं तत्काल प्रभाव से मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा देती हूं।’

शोमा चौधरी ने मेल के अंत में लिखा है, ‘बीच रास्ते में चुनौती को छोड़ देना मेरी आदत नहीं है। मैं पसंद करती कि इस कठिन दौर में तहलका से जुड़ी रहूं। लेकिन मैं आश्वस्त नहीं हूं कि मेरी मौजूदगी तहलका को नुकसान पहुंचाएगी या मदद करेगी।’