नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार और आईपी यूनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच तालमेल न होने के कारण सैकड़ों छात्रों का साल बर्बाद हो गया है। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस, बीडीएस व पीजी मेडिकल कोर्स (एमडी व एमएस) प्रोग्राम में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया था। अब इनमें से कई छात्र दाखिला नहीं ले पाएंगे, क्योंकि उन्होंने नीट के लिए आवेदन नहीं किया था। यूनिवर्सिटी ने फरवरी में एमबीबीएस, बीडीएस व पीजी मेडिकल कोर्स (एमडी व एमएस) प्रोग्राम में दाखिले के लिए आवेदन मांगे थे। लगभग 20 हजार छात्रों ने आवेदन किया था। दाखिले के लिए 11 व 12 मई को सीईटी भी होनी था। इसी बीच अप्रैल में स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना पर दिल्ली सरकार ने आईपीयू की सीईटी को रद्द करते हुए नीट से इन प्रोग्राम में दाखिला देने की सूचना जारी कर दी। सरकार ने जब सूचना जारी की, तब तक आईपीयू में आवेदन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी। दिल्ली सरकार के फैसले के बाद आईपीयू प्रबंधन ने वेबसाइट पर सूचना जारी तो की, लेकिन देरी से। आवेदन करने वालों में सैकड़ों छात्रों ने नीट के लिए आवेदन भरा ही नहीं था और अंतिम तिथि भी निकल चुकी थी। छात्रों ने जब विवि प्रबंधन से जानकारी मांगी तो जवाब मिला कि एमसीआई से बात कर बीच का रास्ता निकाला जाएगा। हालांकि बैठक की बात फाइलों में रही और पांच मई को नीट परीक्षा भी आयोजित हो गई। अब ऐसे छात्रों को दाखिला कैसे मिलेगा, इस सवाल पर प्रबंधन पल्ला झाड़ने में लगा हुआ है। जो छात्र नीट परीक्षा में नहीं बैठे हैं, ऐसे छात्रों की फीस वापस करने की बात कही गई है। ऐसी ही स्थिति जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई थी। वहां प्रबंधन ने बीच का रास्ता निकालते हुए सीईटी करवाने का निर्णय लिया था।
NCR Khabar News Desk
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