चंडीगढ़ – हरियाणा बीज विकास निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अशोक खेमका ने दो चार्जशीट मिलने की संभावनाओं के मद्देनजर प्रदेश सरकार को चिट्ठी लिखकर अपने विरुद्ध शीर्ष नौकरशाहों की मिलीभगत का आरोप लगाया है। खेमका ने सरकार से कहा कि जब से उन्होंने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हास्पिटेलिटी और डीएलएफ के बीच जमीन का इंतकाल रद किया है, तब से उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं।
मुख्य सचिव पीके चौधरी को भेजी चिट्ठी मेंवरिष्ठ आइएएस खेमका ने सरकार से सवाल किया कि वाड्रा-डीएलएफ डील रद करना क्या उनका अपराध था? उन्होंने कहा कि ‘मेरा सबसे बड़ा गुनाह है कि मैंने वाड्रा-डीएलएफ डील को खारिज किया और मैं इसी बात की सजा भुगत भी रहा हूं। इस पूरे मामले में मेरे साथ जो कुछ बीत रहा है, उसने मेरी स्थिति पिच पर खड़े उस बैट्समैन सरीखी बना दी है, जिसे उस मैच में खेलने को कहा गया है, जहां अंपायर पूरी तरह एक पक्षीय है और किसी भी अपील पर अपनी उंगली ऊपर उठा देगा।’
खेमका को बीजों की कम बिक्री और दवाई का अनुदान किसानों को नहीं मिलने के मामले में चार्जशीट करने की बात कही जा रही है। खेमका के अनुसार, 23 साल की नौकरी के दौरान यह पहला मौका होगा, जब उनसे बिना कारण पूछे अथवा बिना स्पष्टीकरण मांगे चार्जशीट देने की तैयारी की जा रही है। ब्यूरोक्रेसी की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रधान सचिव एसएस ढिल्लो, कृषि विभाग के प्रधान सचिव रोशनलाल और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के तत्कालीन महानिदेशक टीसी गुप्ता की मिलीभगत का भी जिक्र अपने पत्र में किया है। खेमका के अनुसार ढिल्लो और रोशनलाल मित्र हैं। स्वार्थ पूरा करने के उद्देश्य से वे उन्हें तंग कर रहे हैं।
चिट्ठी में खेमका ने अतिरिक्त प्रधान सचिव और प्रधान सचिव पद के लिए योग्यता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने रोशन लाल द्वारा फोन के दुरुपयोग का मामला भी पत्र में लिखा। साथ ही एनएएफईडी और एनसीसीएफ बीज एजेंसियों के खिलाफ सीबीआइ को की गई शिकायत का हवाला भी दिया है। यह भी आरोप लगाया कि उनकी छवि को खराब करने के लिए उनके खिलाफ दस चार्जशीट और दस आपराधिक मामले दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए हैं।