लखनऊ।। उत्तर प्रदेश सरकार के एक आधिकारिक सूचना पत्र ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मचा दिया है। प्रदेश सरकार ने सीनियर पुलिस अधिकारियों और फैजाबाद के डीएम को ‘अयोध्या में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर चर्चा के लिए’ मीटिंग में बुलाया है। सरकारी पत्र में इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल पर हैरत जताई जा रही है।
इसस मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सफाई दी है। उसके मुताबिक, यह छपाई की गलती है। इसकी वजह से विषय में यह गलती छप गई। इसे सुधार लिया गया है।
प्रदेश सरकार के सचिव सर्वेश चंद्र मिश्रा की ओर से जारी इस पत्र में डीजीपी और दूसरे बड़े पुलिस अधिकारियों को सोमवार शाम ‘संसद में कानून बनाकर श्री रामजन्मभूमि पर सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर मंदिर निर्माण के संबंध में चर्चा के लिए’ मीटिंग में शामिल होने का निर्देश दिया गया है। इस मीटिंग में जिन लोगों को बुलाया गया है उनमें दो अपवादों के अलावा सारे पुलिस अधिकारी हैं। प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्तव और फैजाबाद के डीएम ही गैर-पुलिस अधिकारी है, जिन्हें मीटिंग में शामिल होने का पत्र भेजा गया है। बताया जा रहा है कि पूरी कवायद कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर की जा रही है।
हालांकि, पत्र में जिस तरह से मीटिंग के विषय का जिक्र किया गया है, उससे बहुत से लोग अचंभित और सशंकित हैं। विवादित भूमि के लिए श्री रामजन्मभूमि शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर संघ परिवार ही करता है। रामजन्मभूमि को लेकर आंदोलन को जायज ठहराते हुए बीजेपी और संघ परिवार हमेशा आजादी के बाद सरकार के सहयोग से सोमनाथ में मंदिर के निर्माण का उदाहरण देते रहे हैं हैं। संघ परिवार हमेशा माग करता रहा है कि संसद में कानून के जरिए राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया जाए।
इस बारे में संपर्क करने पर प्रमुख सचिव (गृह) श्रीवास्तव ने आशंकाओं के निराधार बताते हुए कहा, ‘इसका मकसद सिर्फ कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करना है। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) मंदिर आंदोलन को फिर से जीवित करने की कोशिश में है। हिन्दूवादी संगठन संकल्प दिवस मनाने जा रहा है, जिसमें उसके कार्यकर्ता राम मंदिर बनाने का संकल्प लेंगे।’ बुलाई गई मीटिंग की अध्यक्षता श्रीवास्तव ही करेंगे। पत्र के विषय में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का जिक्र किए जाने पर सफाई देते हुए श्रीवास्तव ने कहा, ‘इसमें बहुत ज्यादा मतलब निकालने की जरूरत नहीं है। वीएचपी ने सोमनाथ में भी संकल्प दिवस मनाया था और हो सकता है कि पत्र में इसी वजह से उसका जिक्र कर दिया गया हो।’
हालांकि, बहुत से लोग इस सफाई से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं और सशंकित हैं। उनका कहना है कि अयोध्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकारी पत्र तैयार करते समय इतने सीनियर नौकरशाह से इस कदर लापरवाह होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। सरकार की सफाई पर विश्वास न करने के राजनीतिक कारण ज्यादा हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी के पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी कट्टर हिन्दुत्व के रास्ते पर लौट सकती है। ऐसे में राम मंदिर का निर्माण पार्टी के एजेंडे में शामिल हो सकता है। कुछ लोगों को लग रहा है कि मुलायम मोदी से मुद्दा छीनने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, कई लोग इससे सहमत नहीं है। इनका मानना है कि राम मंदिर आंदोलन के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की वजह से मुलायम सिंह यादव ने ‘मौलान’ का जो उपनाम कमाया है, वह उसे कतई गंवाना नहीं चाहेंगे। समाजवादी पार्टी के एक नेता ने पत्र के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अगर आप मस्जिद बनाए जाने के लिए मीटिंग बुलाए जाने के बारे में कहते तो मान भी लेता। अभी जो बात कही जा रही है उसका कोई मतलब नहीं है।
प्रमुख सचिव के ऑफिस में होने वाली इस मीटिंग में डीजीपी, एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर), एडीजी (इंटेलिजेंस), आईजी (लॉ ऐंड ऑर्डर), आईजी (रेलव), आईजी (लखनऊ जोन) और फैजाबाद के डीएम व एसएसपी को बुलाया गया है।