मुख्यमंत्री कार्यालय और नए सचिवालय का निर्माण बिना लखनऊ विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराए ही शुरू करवा दिया गया है।
पास कराना तो बहुत दूर की बात है, इस परियोजना के लिए मानचित्र के लिए अब तक प्राधिकरण में कोई भी आवेदन तक नहीं किया गया है।
इस निर्माण के लिए यहां फिलहाल लगभग डेढ़ मंजिल गहरी (लगभग 18 फीट) खोदाई की जा चुकी है। इस रास्ते को बंद कर दिया गया है। अगले तीन साल में निर्माण पूरा किए जाने की तैयारी है।
मानचित्र के मुद़्दे पर राजकीय निर्माण निगम के अफसर कहते हैं कि, बहुत जल्द ही इसके लिए आवेदन किया जाएगा। दूसरी ओर प्राधिकरण अधिकारियों को मानचित्र जमा किए जाने का इंतजार है।
सीएम के नए सचिवालय संबंधित निर्माण कार्य शुरू हुए लगभग डेढ़ महीना बीत चुका है। यहां निर्माण के चलते दारुल शफा विधायक निवास की ओर से आवागमन भी बंद कर दिया गया है। खोदाई बहुत तेजी से जारी है, मगर मानचित्र पास कराने के मुद्दे पर सभी मौन हैं।
कॉरपोरेट कल्चर से लकदक करने की तैयारी
बहुराष्ट्रीय कंपनी के कारपोरेट कल्चर से लैस एक ऐसी बिल्डिंग यहां बनाने की तैयारी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के सभी जरूरी इंतजाम होंगे।
अफसरों और काम कराने आने वालों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। स्वचलित अग्निशमन सुरक्षा के वह सारे जरूरी इंतजाम जो किसी अतिविशिष्ट व्यक्ति के लिए जरूरी हैं, वह यहां होंगे।
पूरी तरह से वातानुकूलित और सुविधा संपन्न होगा, मुख्यमंत्री के लिए बनाया जाने वाला नया सचिवालय। विधानभवन के समक्ष बनाए जाने वाले छह मंजिले सचिवालय भवन के लिए कांसेप्चुअल डिजाइनिंग का काम राजकीय निर्माण निगम ने करवाया है।
राज्य संपत्ति विभाग ने इसके लिए 300 करोड़ रुपए का बजट फाइनल किया है, जिसमें से कुछ शुरुआती किस्त पीडबल्यूडी को जारी भी कर दी है।
धरना स्थल और उसके पास पड़ी 70 हजार वर्ग मीटर खाली जमीन पर निर्माण का आगाज हो गया है। छह मंजिल की यह इमारत बनेगी।
बिल्डिंग बनाने के दौरान मानचित्र संबंधी नियम
किसी भी बिल्डिंग चाहें वह सरकारी हो या प्राइवेट उसको बनाने से पहले कम से कम उसके मानचित्र के लिए प्राधिकरण में आवेदन किया जाना बहुत आवश्यक है।
जबकि, निर्माण शुरू होने के पहले मानचित्र के पास होकर प्राधिकरण से रिलीव किया जाना आवश्यक है। मगर इन दोनों ही नियमों का पालन राजकीय निर्माण निगम ने नहीं किया है।