नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने उन्नाव के एक गांव डौंडियाखेड़ा में सोने की तलाशी के लिए शुरू किए गए अभियान पर अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने इस अभियान पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकारी एजेंसियों को किसी साधु के सपने के आधार पर खजाना खोजने का काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अंधविश्वास बढे़गा। उन्होंने सोने की तलाश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से की जा रही खोदाई पर कहा कि इससे हमें कुछ हाथ नहीं लगने वाला। हम इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ हैं।
शरद पवार का यह बयान एएसआइ और भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग (जीएसआइ) की सफाई के बावजूद आया है। ये दोनों एजेंसियां कह चुकी हैं कि वे किसी के सपने के आधार सोने की खोज नहीं कर रही हैं। शनिवार को संस्कृति मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि सोने की तलाश किसी के सपने के तहत नहीं, बल्कि जीएसआइ की इस आशय की रपट के बाद एएसआइ की ओर से की जा रही है कि डौंडियाखेड़ा में जमीन के नीचे धातु होने की संभावना है।
विभिन्न टीवी चैनलों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत ने भी साफ किया कि यह कहना गलत है कि एएसआइ की ओर से जारी कवायद किसी संत के सपने के आधार पर हो रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें इस संभावित खजाने के बारे में संत शोभन सरकार ने जानकारी दी थी, जिसके बाद उन्होंने संबंधित मंत्रालयों को पत्र लिखे। इन तमाम स्पष्टीकरण के बावजूद साधु के सपने वाली बात खबरों के बीच अपना वजूद बनाए हुए है।
जिस तरह यह पता नहीं चल पा रहा कि सपने वाली बात कहां से आई और मीडिया के एक बड़े हिस्से में छाई उसी तरह अब यह भी एक रहस्य बन गया है कि एक हजार टन सोना मिल सकने की बात किसने कही। अब सभी यह कह रहे हैं कि एक हजार टन सोना मिलने की संभावना तो किसी ने नहीं जताई।
इस सबके बीच डौंडियाखेड़ा में सोने की तलाश का अभियान दूसरे दिन भी जारी रहा। खोदाई स्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ते जाने के कारण स्थानीय पुलिस को पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ानी पड़ी है।