शुरू हुई तीसरे मोर्चे की मुहिम, जुटे 14 दलों के नेता
लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही केंद्र की राजनीति में फिर से गैर एनडीए व गैर यूपीए विकल्प खड़ा करने की तैयारी शुरू हो गई है।
हमेशा की तरह इस बार भी बहाना सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करने का है। वामदलों की अगुवाई में तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित सांप्रदायिकता विरोधी सम्मेलन में 14 दलों के नेता एक मंच पर जुटे।
खास बात यूपीए के महत्वपूर्ण सहयोगी दल एनसीपी के प्रतिनिधि की उपस्थिति रही। वरिष्ठ इतिहासकार प्रो इरफान हबीब की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में सभी दलों ने भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर तीखा निशाना साधा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सांप्रदायिक शक्तियों के मुकाबले के लिए तीसरा विकल्प खड़ा करने का राग छेड़ा।
हालांकि वाम दलों के नेताओं ने अपने भाषण में एक बार भी तीसरे विकल्प का जिक्र न कर साफ संकेत दिया कि फिलहाल वे इस मामले में जल्दबाजी के हक में नहीं हैं।
सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित कर सांप्रदायिकता के खिलाफ एकजुट होने का संकल्प व्यक्त किया गया। इसके साथ ही सभी दलों में सभी राज्यों की राजधानी में सांप्रदायिकता विरोधी सम्मेलन बुलाने पर सहमति बनी।
सांप्रदायिकता के खिलाफ हल्ला बोलते हुए नीतीश ने मंच पर ही तीसरे विकल्प की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल किसी तरह के मोर्चे का मामला नहीं है। सभी धर्मनिरपेक्ष दल अलग-अलग कारणों से एक मंच पर नहीं आ सकते। मगर जहां तक संभव हो, सांप्रदायिकता के खिलाफ ऐसे दलों की मजबूत एकता कायम होनी चाहिए।
बाद में सपा के मुखिया ने भी नीतीश का समर्थन करते हुए धर्मनिरपेक्ष दलों को जोड़ने की वकालत की। हालांकि वामदलों के नेताओं प्रकाश करात, एबी बर्धन और सुधाकर रेड्डी ने अपने भाषण में इस विषय पर रत्ती भर भी चर्चा न कर स्पष्ट संकेत दिया कि फिलहाल तीसरा विकल्प खड़ा करने के मामले में वह हड़बड़ी में नहीं है।
सम्मेलन में खास रही एनसीपी की उपस्थिति
सम्मेलन की खास बात इस जमघट में एनसीपी के प्रतिनिधि प्रो डीपी त्रिपाठी की उपस्थिति रही। त्रिपाठी ने भी देश का सांप्रदायिक माहौल खराब करने के लिए साजिश रचे जाने की बात कही। हालांकि त्रिपाठी ने कांग्रेस पर हमला नहीं किया, मगर अन्य नेताओं की तरह ही धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
नीतीश और मुलायम के निशाने पर मोदी
सम्मेलन के दौरान नीतीश और मुलायम के निशाने पर भाजपा, संघ परिवार और नरेंद्र मोदी रहे। दोनों नेता कांग्रेस पर हमला करने से बचे। इस दौरान अन्नाद्रमुक ने भाजपा पर हमला करने से परहेज किया। वामदलों के अलावा जेवीएम, बीजेडी, जेडीएस ने दोनों ही दलों पर तीखा हमला किया।
ये दल हुए शामिल
एजीपी, जेवीएम, सीपीआई, सीपीएम, आरपीआई, एफबी, एनसीपी, जेडीयू, एसपी, बीजेडी, एआईएडीएमके, जेडीएस, पीपीपी, जीवीपी
इन नेताओं ने की शिरकत
एचडी देवगौड़ा, प्रकाश करात, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार, बीजे पांडा, बाबूलाल मरांडी, प्रो डीपी त्रिपाठी, सुधाकर रेड्डी, एम थंबीदुरई