योग की तरफ ये सात कदम आपको हमेशा रखेंगे फिट

sex-52334a2d5a1fd_exlसेहतमंद रहना हम सभी चाहते हैं। पर क्या चाहने मात्र से ही सेहत बन जाती है। नहीं न! तन-मन से सेहतमंद रहने के लिए आपको खुद को कुछ समय देना होगा। तभी आप रोजमर्रा की जिंदगी में संतुलन बना पाएंगीं।

बैलेंस्ड डाइट
आयुर्वेद में अपनी प्रकृति के हिसाब से आहार लेने की बात कही गई है। मसलन, यदि आप में पित्त प्रकृति की अधिकता है, तो पीली वस्तुओं जैसे, ज्यादा तेल, हल्दी और इसी तरह की पीली चीजों का परहेज करना चाहिए।

प्रतिदिन भोजन में विटामिन्स, प्रोटीन्स, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स और अन्य जरूरी चीजों को कितनी मात्रा में लें, इसकी जानकारी चिकित्सक से लें। इससे आहार का संतुलन बना रहता है।

दिनचर्या रखें संतुलित 
सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक, हमारी दिनचर्या यानी दिनभर का शिड्यूल क्या हो, यह सेहत के लिए जानना जरूरी है। मान लें आप रोज सुबह छह बजे उठती हैं, तो हल्का व्यायाम या मॉर्निंग वॉक करने के बाद स्नान करें।

फिर नियत समय पर नाश्ता लेकर पंद्रह मिनट आराम करें। फिर काम में लग जाना चाहिए। दोपहर एक बजे तक लंच कर लें। दोपहर का भोजन करने के बाद 15 मिनट तक चुपचाप बैठकर विश्राम करना सेहत के लिए मुफीद माना गया है। शाम पांच बजे भूख लगने पर थोड़ा नाश्ता लेने में कोई दिक्कत नहीं है।

घर आने के बाद आधे घंटे एकांत में लेटकर विश्राम करके आठ बजे तक रात का भोजन ले लेना चाहिए। फिर भोजन के तीन घंटे के बाद ही सोना चाहिए। भोजन के बाद आधे घंटे तक टहलना भी अच्छा होता है। इससे भोजन पचने में कोई दिक्कत नहीं आती है।�

मौसम को न करें नजरअंदाज
मौसम ऋतु के बदल जाने पर प्रकृति में बदलाव दिखाई पड़ता है, उसी तरह हमें अपने आहार-विहार, दिनचर्या और योगासनों में भी बदलाव कर लेना चाहिए। प्रकृति ने हर ऋतु के अनुकूल फल, सब्जी और खाद्यान्न बनाए हैं। अन्य ऋतु में पैदा होने वाली चीजों को किसी अन्य ऋतु में नहीं सेवन करना चाहिए। मसलन, कोल्ड स्टोरेज में रखा तरबूज या बेल, बरसात के महीने में नहीं सेवन करना चाहिए। यही नियम अन्य चीजों पर भी लागू होता है।

योगासन से रहें स्वस्‍थ 
ऋतु के मुताबिक ही योगासन और मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए। पसीना निकलने वाले और गर्मी बढ़ाने वाले आसनों को गर्मी के दिनों में न करें। सेहत के लिए मुद्राओं का अभ्यास भी जरूरी है।

मानसिक सेहत के लिए भी कई मुद्राएं हैं, जिन्हें रोजाना करना चाहिए। जैसे ज्ञान मुद्रा। यह मुद्रा अंगूठा और तर्जनी को मिलाने से बनती है। इसको रोजाना करने से याददाश्त बढ़ती है और मानसिक बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है।

इससे अनिद्रा और चिड़चिड़ापन भी दूर होता है। इसी तरह और भी कई मुद्राएं हैं, जिसे किया जा सकता है। जैसे-प्राण मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वायु मुद्रा, हृदय मुद्रा, सूर्य मुद्रा आदि। इन्हें आप योग गुरु से सीख कर सकती हैं। इन मुद्राओं के अभ्यास से कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

पॉजिटिव सोच अपनाएं
तनाव, अवसाद जैसी ज्यादातर समस्याएं नकारात्मक सोच की वजह से पैदा होती हैं। इसलिए सकारात्मक सोच को बढ़ाने के लिए रोजाना भ्रामरी का अभ्यास करना चाहिए। सुबह तब उठें, जब चंद्र नाड़ी चले यानी बायां नथुना चलना चाहिए।

सकारात्मक सोच के लिए अच्छा सत्संग, आसन, व्यायाम, मुद्राओं का अभ्यास और अच्छी संगति में रहें। एकांत में न करें। याद रखिए, सकारात्मक सोच से ही शारीरिक और मानसिक सेहत को बनाए रखा जा सकता है।

हंसें तो खुलकर हंसें
एक शोध के मुताबिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, शारीरिक और मानसिक सेहत को बेहतर करने, पाचन क्रिया को बढ़ाने, स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए खुलकर हंसने से बेहतर और कोई उपचार, दवा और तरीका नहीं है और न ही कोई आसन या प्राणायाम ही है।

दिन में दो बार कम-से-कम आधे घंटे पार्क में, बाग में या शीशे के सामने अकेले में खुलकर हंसने का अभ्यास करें। इससे शरीर के अंग-अंग में स्फूर्ति, रक्तसंचार में बढ़ोतरी होती है।

तन और मन में रखें संतुलन 
संतुलित आहार, आसन-व्यायाम और मुद्राओं का अभ्यास करने के साथ ही शारीरिक� और मानसिक श्रम दोनों को संतुलित तरीके से करना चाहिए। बिना शारीरिक श्रम के तंदुरुस्ती बेहतर नहीं हो सकती है।

हड्डियां भी इससे मजबूत होती हैं। इस तरह कुछ विशेष ट्रिक्स आजमाकर शारीरिक और मानसिक सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है।