नई दिल्ली – उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के सुबूत अब सीबीआइ की फाइलों की शोभा बढ़ाएंगे। तमाम सुबूतों का दावा करने के बावजूद एफआइआर के अभाव में सीबीआइ को मायावती के खिलाफ आखिरकार केस बंद करना पड़ा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में जांच एजेंसी के पास मौजूद सुबूतों को दरकिनार करते हुए एफआइआर निरस्त कर दी थी।
यही नहीं, इस साल अगस्त में अदालत ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से भी इंकार कर दिया था। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही सीबीआइ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति के प्रारंभिक जांच का केस बंद कर चुकी है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों की राय लेने के बाद केस बंद करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआइ के लिए अपने बूते इस मामले में नई एफआइआर दर्ज करना संभव नहीं है।
जांच एजेंसी तभी एफआइआर दर्ज कर सकती है, जब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट आदेश दे या फिर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से निर्देश मिले। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा बंद होने के बाद केवल उत्तरप्रदेश सरकार के अनुरोध का रास्ता बचता है। लेकिन खुद सीबीआइ अपनी ओर से राज्य सरकार से अनुरोध नहीं कर सकती है।
सीबीआइ ने सितंबर 2003 में ताज कोरिडोर मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। हालांकि बाद में एफआइआर निरस्त करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ताज कारीडोर मामले में विचार करते समय उसने सीबीआइ को मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश नहीं दिया था।
सीबीआइ ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करके अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण किया है। इसलिए इसके तहत की गई जांच भी गैरकानूनी है और निरस्त करने योग्य है। मायावती की याचिका में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले लखनऊ निवासी कमलेश वर्मा ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
वैसे अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ के पास मौजूद सुबूतों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था। ताज कोरिडोर केस से मायावती पहले ही बाहर आ चुकी हैं।