रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर मंत्री बन गए हैं। राजभवन परिसर में राज्यपाल डॉ. बीएल जोशी ने मंत्रिमंडल के संक्षिप्त विस्तार में उन्हें शपथ दिलाई।
राजा भैया राजभवन करीब दस बजे ही पहुंच गए। साथ ही, पवन पांडेय, आजम खां, शिवपाल यादव, अहमद हसन अंबिका चौधरी और बलराम यादव जैसे सपा सरकार के कई मंत्री इस कार्यक्रम में मौजद रहे।
सीएम अखिलेश यादव भी इस कार्यक्रम में राजा भैया के साथ मौजूद थे।
मंत्री बनते ही दहाड़े ‘राजा’
मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जैसे ही राजा भैया कालिदास मार्ग स्थित अपने आवास पर पहुंचे, तो उनके घर पर सरकार के मंत्रियों और क्षत्रिय विधायकों का दरबाज सज गया। राजा भैया ने निशाना साधते हुए कहा कि मेरे ऊपर जितने भी आरोप लगे थे, वो बसपा सरकार का प्रसाद थे।
राजा भैया ने मीडिया को भी दोषी ठहराते हुए कहा कि कुछ मीडिया वालों ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल लिया था। उन्होंने बिना हकीकत जाने मेरे खिलाफ अभियान चलाया। हालांकि, मैं सीबीआई केस में बाइज्जत बरी हुआ और मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप भी झूठे साबित हुए।
खबर है कि इसके अलावा एक-दो नए चेहरों को मंत्री बनाया जा सकता है या किसी राज्यमंत्री को प्रोन्नत किया जा सकता है।
राजा भैया ने कुंडा में सीओ जियाउल हक की हत्या के बाद चार मार्च 2013 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्य सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
सीबीआई ने एक अगस्त को राजा भैया को क्लीन चिट देते हुए फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इसी के बाद से उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रहीं थी।
मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद दो राजपूत विधायकों पर रासुका लगाने और ठाकुर चौबीसी के खेड़ा गांव में महापंचायत पर फायरिंग-लाठीचार्ज के बाद क्षत्रियों की नाराजगी को देखते हुए राजा भैया को सरकार में शामिल किए जाने की चर्चाएं और तेज हो गईं थी।
पिछले हफ्ते आजम खां ने अचानक राजा भैया के आवास पर पहुंचकर इन्हें और हवा दे दी। करीब एक घंटे की इस मुलाकात में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बातचीत भी हुई थी।
आजम ने उनसे खेड़ा तक जाने का आग्रह किया था। राजा के नजदीकी लोगों का कहना है कि उन्होंने तर्क रखा था कि वे किस हैसियत से खेड़ा या वेस्ट यूपी में जाएं?
इस बीच राजनीतिक हल्कों में यहां तक चर्चा रही कि राजा भैया पर भाजपा नेता डोरा डाल रहे हैं। दावे तो उनके भाजपा में शामिल होने तक के किए जा रहे थे।
राजा ने कभी न इनका खंडन किया और न ही पुष्टि। इन चर्चाओं को सपा पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा गया। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सपा इस समय कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है।
राजा भैया को मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला मुजफ्फरनगर दंगे के बाद डैमेज कंट्रोल के तौर पर भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुस्लिम या अति पिछड़े वर्ग के किसी प्रतिनिधि को प्रोन्नत किया जा सकता है या मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
मुस्लिम नुमाइंदे को मुस्लिमों की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों के मद्देनजर जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। प्रोन्नति पाने वाले मुस्लिम मंत्रियों में शाहिद मंजूर या हाजी रियाज अहमद को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
सपा पिछड़ों, अति पिछड़ा कार्ड खेलने जा रही है। 24 अक्तूबर से उनकी रथयात्रा शुरू होनी है। इस नाते भी इस वर्ग के किसी विधायक को लालबत्ती की दी जा सकती है।