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सिंगापुर एयरलाइंस संग विमानन सेवा शुरू करेगी टाटा

19_09_2013-singpaoreनई दिल्ली, – अठारह साल पहले सिंगापुर एयरलाइंस के साथ भारत में एयरलाइन शुरू करने का प्रस्ताव लाकर रद करने वाले टाटा समूह ने अब फिर उस गठजोड़ को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है। इस बाबत दोनों कंपनियों में समझौता हो गया है। प्रस्तावित संयुक्त उद्यम एयरलाइन में टाटा की बहुमत हिस्सेदारी होगी। इसका मुख्यालय दिल्ली में होगा।

इससे पहले, टाटा समूह फरवरी में मलेशिया की एयरलाइन एयर एशिया के साथ भारत में बजट एयरलाइन लाने का समझौता कर चुका है। इसमें समूह की अल्पमत हिस्सेदारी है। टाटा संस की ओर से गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक संयुक्त एयरलाइन में टाटा समूह की 51 फीसद इक्विटी होगी। वहीं, सिंगापुर एयरलाइंस की शेष 49 फीसद हिस्सेदारी होगी। इस संबंध में समूह ने विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड [एफआइपीबी] के समक्ष मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है। संयुक्त उद्यम में शुरू में टाटा संस के दो निदेशक होंगे, जबकि एक निदेशक सिंगापुर एयरलाइन का होगा। इसके चेयरमैन प्रसाद मेनन होंगे जिनकी नियुक्ति टाटा संस की ओर से की जा रही है।

मेनन ने कहा कि टाटा समूह का आकलन है कि देश में एयरलाइन उद्योग विकास की ओर उन्मुख है। ऐसे में विश्व स्तरीय एयरलाइन लांच करने की संभावना दिख रही है। हमें खुशी है कि इसमें हम विश्व प्रसिद्ध सिंगापुर एयरलाइंस का साथ ले रहे हैं। सिंगापुर एयरलाइंस के सीईओ गोह चून फोंग ने कहा कि हमें हमेशा से भारत के एविएशन सेक्टर में विकास की संभावनाएं दिखाई दी हैं। इस बाजार में विस्तार के लिए टाटा संस का साथ पाकर हम उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि हाल में इस क्षेत्र में भारत ने जिस तरह का उदारीकरण किया है, उसके बाद ग्राहकों को फुल सर्विस हवाई यात्रा का नया अनुभव देने का यह सही वक्त है। नई एयरलाइन की ब्रांडिंग, प्रबंधन टीम और उत्पादों आदि का विस्तृत ब्योरा जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा।

वर्ष 1995 में टाटा ने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ भारत में फुल सर्विस एयरलाइन शुरू करने के लिए एफआइपीबी को आवेदन दिया था। एक साल बाद यह मंजूर भी हो गया था। मगर 1997 में सरकार ने नागरिक विमानन नीति बदल दी और विदेशी एयरलाइनों को भारतीय एयरलाइनों में हिस्सेदारी से मना कर दिया। इससे यह एयरलाइन अस्तित्व में नहीं आ सकी। इसके कई वर्षो बाद टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा ने यह कहकर हड़कंप मचा दिया था कि हमारी एयरलाइन इसलिए नहीं आ सकी क्योंकि हमने एक केंद्रीय मंत्री को रिश्वत देने से इन्कार कर दिया था।

अब अगर टाटा फिर से उसी पुराने सपने को पूरा करने को आगे आई है तो इसके पीछे यूपीए-2 सरकार द्वारा कुछ महीने पहले बदली गई नीति है। इसमें विदेशी एयरलाइनों को भारतीय एयरलाइनों में 49 फीसद तक एफडीआइ की छूट दे दी गई है। वर्ष 2000 में टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस ने मिलकर सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया में 40 फीसद इक्विटी खरीदने का प्रस्ताव भी किया था। मगर एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर भारी राजनीतिक विरोध के मद्देनजर दिसंबर 2001 में इसे वापस ले लिया गया।

NCR Khabar News Desk

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