दागियों को बचाने के अध्यादेश पर राहुल गांधी के धमाके के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी ही सरकार में अलग-थलग पड़ गए हैं। जबकि उनके साथ इस अध्यादेश पर मंजूरी की मुहर लगाने वाली उनकी कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री अब इसे बकवास बताने वाले राहुल के पीछे जा खड़े हुए हैं।
हवा का बदला रुख देख ये मंत्री राहुल के बयान को जायज ठहराने में कसर बाकी नहीं रख रहे। लेकिन मौजूदा स्थिति से प्रधानमंत्री बेहद आहत बताए जा रहे हैं। हालांकि उनके इस्तीफा देने की संभावनाओं को फिलहाल सूत्र खारिज कर रहे हैं।
राहुल के हल्लाबोल से असहज सरकार और कांग्रेस की ओर से डैमेज कंट्रोल की कसरत शुरू हो गई है। राहुल के व्यवहार से भले ही प्रधानमंत्री की अथॉरिटी पर सवाल खड़े हो गए हैं। मगर सत्तापक्ष की ओर से यह तस्वीर पेश करने की कोशिश हो रही है कि राहुल के वार के बाद भी प्रधानमंत्री का मान-सम्मान कम नहीं हुआ है। कांग्रेस भाजपा पर निशाना साधकर सरकार और पार्टी के अंदर चल रही उठापटक पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी है।
अध्यादेश पर राहुल के अचानक ही उठाए सवालों के बाद उठे सियासी तूफान को थामने की कोशिश में सरकार और पार्टी के मैनेजर शनिवार को जुटे रहे।
�केंद्रीय मंत्रियों में राहुल के रुख का समर्थन करने की होड़ सी लग गई। केंद्रीय राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष ने सिर्फ लोगों के गुस्से को जाहिर किया है। इसमें कुछ गलत नहीं है।
वहीं संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ड्रामा कर रही है और इससे प्रधानमंत्री का कद कम होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। कई बार विचारों में अंतर होता है। मगर इसे सामान्य और बेहतरी के तौर पर देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विदेश में हैं। जब वह लौट कर आएंगे तो स्थिति की समीक्षा करेंगे। केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि पार्टी ही सरकार का मार्गदर्शन करती है। ऐसा पहले भी कई बार हुआ है, जब पार्टियों ने अपनी सरकार का रुख बदलवा दिया है।
ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हम सब राहुल की बात का समर्थन करेंगे। हम उनसे सहमत हैं। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि राहुल ने गुस्सा दिखाया है और युवाओं की आवाज उठाई है। प्रधानमंत्री लौटकर उनकी बात सुनेंगे।
राहुल के गुणगान के चलते अध्यादेश को सरकार और कांग्रेस ने पीछे धकेल दिया है। वहीं, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल ने भाजपा की हवा निकाल दी है। विपक्ष ने अध्यादेश का पहले समर्थन किया था।
सरकार का रिमोट कंट्रोल थामने की तैयारी में राहुल
राहुल ने अध्यादेश पर जोरदार तरीके से उंगली उठाने के साथ ही संकेत दे दिए हैं कि अब वह सरकार का रिमोट कंट्रोल थामने की तैयारी में हैं। अब कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी ही नहीं बल्कि सरकार के कई मंत्री भी राहुल को रिपोर्ट कर रहे हैं।
राहुल रोजाना मंत्रियों से बात कर हर छोटे-बड़े फैसलों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे सोनिया गांधी की भूमिका कम होने की बात है, जिससे उनके कुछ करीबी नेताओं का पार्टी के अंदर कद घटना शुरू हो गया है। चर्चा है कि राहुल खुद सोनिया के एक बेहद करीबी नेता से नाराज हैं।
स्वाभिमान बाकी है तो इस्तीफा दें पीएम
अध्यादेश पर राहुल गांधी के बयान के बाद भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस में शुरू हुई अंतरकलह को हवा देने में जुट गई है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल ने पीएम का अनादर किया है। यदि प्रधानमंत्री में अंतरात्मा की थोड़ी सी भी आवाज बची है तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। उन्हें अमेरिका से लौटते ही हवाई अड्डे से सीधे राष्ट्रपति भवन जाकर इस्तीफा देना चाहिए।
सिब्बल की बोलती बंद
दागियों को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश के मुख्य सूत्रधार माने जा रहे कानून मंत्री कपिल सिब्बल की बोलती इस पर राहुल का तीखा रुख सामने आने के बाद अब बंद हो गई है। शनिवार को पत्रकारों ने सिब्बल से बार-बार उनकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन वह कन्नी काटकर निकल गए।
कैबिनेट करेगी विचार
राहुल गांधी की ओर से बकवास करार दिए गए अध्यादेश पर अब कैबिनेट प्रधानमंत्री के अमेरिका से लौटने के बाद 3 या 4 अक्तूबर को विचार करेगी। कैबिनेट की इस बैठक में दागियों को बचाने के इस अध्यादेश को वापस लेने का फैसला किया जा सकता है।
गलतफहमियों को दूर किया जाना चाहिए
मुझे लगता है कि अध्यादेश के मुद्दे पर यूपीए की समन्वय समिति की बैठक बुलाई जानी चाहिए और गलतफहमियों को दूर किया जाना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर के सीएम