जौली गंगनहर पटरी पर उन्मादियों के कहर के निशां आज भी रोंगटे खड़े कर रहे हैं। पूरा इलाका दहशत में है। कोई वहां से गुजरने का ‘रिस्क’ नहीं उठा रहा।
जौली की घटना पर उठे सवाल अभी सुलगे हुए हैं। एक-एक कर छह लाशें अब तक बरामद हो चुकी हैं। बसेड़ा के ब्रजपाल सिंह राणा अभी तक गायब हैं।
फूंकी गई 13 ट्रैक्टर-ट्राली, तीन मोटरसाइकिलें और ताबड़तोड़ फायरिंग इस बात का प्रमाण है कि यहां बड़े ‘नरसंहार’ की तैयारी थी। नफरत के सौदागरों ने नक्सली हमले की तरह व्यूह रचना रची थी।
स्वचालित हथियार, धारदार यंत्र और पेट्रोल-डीजल लेकर उन्मादी पहले से तैयार थे। जैसे ही महापंचायत से लौट रहा कारवां जौली नहर पटरी मार्ग के अकबरपुर रोड पर पहुंचा तो हमला हो गया।
उन्मादियों ने ट्रैक्टरों और बाइक पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। फायरिंग करते हुए धारदार हथियारों से वार किए गए। मौके पर मौजूद छह पुलिसकमियों ने हवाई फायरिंग की, लेकिन उपद्रवियों के सामने टिक नहीं पाए।
जान बचाने को ईखों में घुसना पड़ा। रहमतपुर के मनोज, ककराला के सोहनबीर और रामपाल बताते हैं कि मौत सामने थी। दो घंटे तक उन्माद का कहर बरपा। कुछ लोग नहर में कूद गए।
करीब एक घंटे बाद फोर्स पहुंची। बसेड़ा नरेन्द्र सिंह, अशोक, जयंदर सिंह, ऋषिपाल उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। मौके की भयावहता का अंदाजा इसी से लगता है कि काबू पाने को पुलिस को 50 राउंड गोलियां चलानी पड़ीं।
खेड़ी फिरोजाबाद, सिकंदपुर, रहमतपुर और भोकरहेड़ी के छह ग्रामीणों के शव मिल चुके हैं, इनमें एक की पहचान नहीं हो सकी है। भोपा और मोरना क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में जौली की दहशत पसरी है।