जिस लड़की से दुष्कर्म के आरोप में आसाराम जेल पहुंच गए हैं वह पिछले कुछ दिनों से बरेली के शाहजहांपुर में अपने घर के सबसे अंदर के कमरे में है। मीडिया वालों के वेश में जाने कौन चला आए इसलिए परिवार वाले किसी को उससे मिलवाने को तैयार नहीं है।
पूरा परिवार इस प्रयास में जुटा है कि लड़की सदमे से बाहर आ जाए। लगातार दो दिन तक समझाने के बाद लड़की की मां ने उससे मिलवाया जरूर लेकिन औपचारिक बातचीत की अनुमति नहीं दी।
अब तक लड़की के पिता ही मीडिया के सामने आते रहे हैं लेकिन पहली बार इस पूरे प्रकरण की साक्षी लड़की की मां ने पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताया।
किशोरी की मां ने बताया कि घटना के दिन आधी रात से कुछ पहले जब बापू की कुटिया बदहवास सी निकली बच्ची ने बताया कि ये बापू पूजने लायक नहीं है तो वह सन्न रह गई। पति भी साथ थे रास्ते भर उसने कुछ नहीं कहा। शाजहांपुर आकर जब पूरी कहानी सुनी तो पांव तले जमीन सरक गई।
आस्था के नाम पर इस तरह ठगे जाने पर सारा हौसला टूट गया। बाद में काफी सोच विचार के बाद बापू की धमकियों की परवाह न कर पुलिस में जाना पड़ा।
इसकी पृष्ठभूमि बताते हुए लड़की मां ने कहा कि गुरुकुल से उन्हें फोन आया कि उनकी बेटी बहुत बीमार है तुरंत महामृत्युंजय का जाप शुरू कर दें। उन्होंने रात में ही जाप शुरू कर दिया और सुबह पति पत्नी छिंदवाड़ा बेटी के गुरुकुल पहुंच गए। वहां गुरुकुल की शिक्षकों ने बताया कि उसकी तबीयत ठीक है।
मां ने तुरंत ही गुरुकुल के बाहर शिक्षक के फोन पर बेटी से बातचीत कर उसका हाल पूछा। बेटी ने कहा कि वह बिल्कुल ठीक है, बस उसे एक दिन चक्कर आ गया था। तब से सब लोग कह रहे हैं कि उसके ऊपर भूत-प्रेत है। वहां शिल्पी बेन ने कहा कि लड़की पर भूत-प्रेत है। बापू के पास ले जाना पड़ेगा।
इसलिए, परिवार बेटी को लेकर बापू के जोधपुर आश्रम में पहुंच गए। आश्रम में काफी लोग बैठे हुए थे।
बापू ने हम लोगों को देखते ही बेटी से पूछा, तू कहां से। बेटी ने कहा, छिंदवाड़ा गुरुकुल से। बोले, अच्छा भूत वाली। बेटी ने भी कह दिया, हां। इसके बाद बापू ने उसे आगे बुलाया और उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा कि तू तो ठीक है, तुझ पर कोई भूत-प्रेत नहीं।
बेटी ने कहा, यही तो मैं सबसे कह रही हूं, लेकिन मेरी कोई सुन ही नहीं रहा। इसके बाद बापू ने पीड़ित के पिता की खूब तारीफ की, उसकी मां को भी अपनी बातों में बहलाया। बोले, क्या चाहते हो। परिवार ने कहा, बस, आपका आशीर्वाद। बापू बोले, ऐसे भक्त होने चाहिए।
इसके बाद तीनों को कमरे में बैठा दिया गया। 15 अगस्त को रात करीब दस बजे बापू की कुटिया में बुलाया गया। बापू ने रसोइए को बुलाकर सबके लिए दूध मंगाया और और बेटी को अपने पास बुला कर बोले, अंदर बैठकर माला जपो। लड़की ने मां ने कहा इस बीच हम लोग बाहर बापू से बातचीत करने लगे।
फिर बापू उस आश्रम में घूमने लगे। हम लोग भी उनसे बातचीत करते हुए उनके पीछे-पीछे चलते रहे। इसके बाद वह अंदर एक कमरे में गए और फिर पांच मिनट के बाद लाइट बंद कर दी। उस कमरे में चारों ओर से शीशे लगे हुए थे।
हम लोगों को लगा कि बेटी पीछे बैठी जाप कर रही होगी, लेकिन उसे वहां से बुलाकर बापू के पास भेज दिया गया था। मां बोली, मेरे पति ने कहा लगता है कि बापू सो गए। इसके बाद हम लोग माला जपने लगे। दस-पंद्रह मिनट बाद मेरे पति बोले, मैं चलता हूं, तुम उसे लेकर आ जाना। उसके बाद, मैं अकेले वहां रह गई। दस मिनट तक मैं माला जपती रही, लेकिन फिर, मेरे मन में शंका हुई।
लेकिन, मैंने खुद ही अपने हाथ से दो अपने थप्पड़ मारे और कहा, अरे ये मैं कहा सोच रही हूं। खैर, मैं फिर बेटी का इंतजार करने लगी। आसाराम अंदर बैठे बेटी से बातचीत कर रहे थे। फिर उन्होंने करीब सवा 11 बजे उससे कहा, जाओ बाहर देखो तुम्हारे मम्मी-पापा बैठे हैं क्या?
बेटी बाहर आई और उसने मुझे देख कर कहा कि मैं बापू को बता कर आती हूं। वह अंदर गई तो वहीं पर बाबा ने उसका हाथ खींच लिया। कुछ देर बाद जब बेटी बाहर निकली तो बदहवास थी। उसका हाल देखकर मेरा दिल वहीं पर धक्क बोल गया। मैंने उससे पूछा क्या हुआ तो वह बस इतना बोली, चलो यहां से, यह बाबा पूजने लायक नहीं है।
आखिर पांच दिन बाद रिपोर्ट क्यों दर्ज हुई? यह पूछे जाने पर इस बारे में मां कहती है, हम 16 अगस्त को सुबह वहां से शाहजहांपुर के लिए निकल पड़े। बेटी रास्ते भर हमें कुछ भी बताने के लिए तैयार ही नहीं हुई।
शाहजहांपुर पहुंचकर 18 अगस्त को उसने मुझे सारी बात बताई। इतने बड़े बाबा के खिलाफ इस गंभीर अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने की हिम्मत जुटाने में इतना समय लग गया।
शहर में बदनामी होगी इसलिए, उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने को दिल्ली जाने का फैसला किया। वहां 20 अगस्त को बाबा का सत्संग भी था और उन्हें लगा कि वहीं गिरफ्तार भी करवा लेंगे।