नई दिल्ली- नोएडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के लगभग दस दिन पहले पिलर के क्षतिग्रस्त होने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मेट्रो स्टेशन के फाउंडेशन (स्लैब) के जिस भाग में दरार आई, उस भाग में सरिया ही नहीं था। लगभग 80 मिलीमीटर (एमएम) की इस दरार का कारण सरिया न होना माना जा रहा है। इससे मेट्रो स्टेशन दो भाग में बंट गया। स्टेशन के डिजाइन में भी गड़बड़ी की बात सामने आ रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार यदि एक-दो दिन और देर हो जाती तो सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन गिर सकता था। समय रहते मेट्रो स्टेशन को रोकने के लिए मजबूत सहारा दे दिया गया है। फिलहाल, स्टेशन को कोई खतरा नहीं है। स्टेशन की मरम्मत का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है। मेट्रो रेल प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए तीन अधिकारियों की उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी सात दिन के अंदर रिपोर्ट देगी।
कहां हुई गड़बड़ी
मेट्रो स्टेशन जिन पिलर पर बना है, उसके बीच में फाउंडेशन तैयार किया जाता है। फाउंडेशन के बीच वाले भाग पर रेल टै्रक रहता है। इसी फाउंडेशन के बीच भाग में 80 एमएम की दरार आई है। दरार का कारण सामने आया है कि इस भाग में सरिया ही नहीं है। जबकि स्टेशन के फाउंडेशन में सरिया की उपयोगिता अधिक बढ़ जाती है। यहां तक बताया जा रहा है कि स्टेशन के निर्माण का जो डिजाइन तैयार किया गया है, उसमें भी जरूरत से कम सरिया का लगाया जाना निर्धारित किया गया है।
अभियंताओं से हो रही पूछताछ
इस स्टेशन का निर्माण कार्य मेट्रो के कनिष्ठ अभियंता विकास त्यागी, सहायक अभियंता संजय वाष्र्णेय, डिप्टी चीफ इंजीनियर राजीव गर्ग के नेतृत्व में हुआ है। इन लोगों से मेट्रो रेल कारपोरेशन पूछताछ कर रहा है।
दो समानताएं भी सामने आई
इस कार्य को लेकर दो समानताएं भी सामने आई हैं। दिल्ली के जमरुदरपुर में 2009 में हुए हादसे के समय उस कार्य को मुख्य अभियंता राजन कटारिया देख रहे थे। वही राजन कटारिया इस योजना के भी मुख्य अभियंता हैं। जमरूदपुर कार्य को भी गैमन इंडिया कंपनी करा रही थी और इस कार्य को भी गैमन इंडिया के हवाले किया गया।
2009 में गिरा था निर्माणधीन मेट्रो ट्रैक
बता दें कि दिल्ली के जमरुदरपुर में 2009 में निर्माणाधीन मेट्रो ट्रैक गिर गया था। उस हादसे में छह लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद राजन कटारिया को निलंबित कर दिया गया था और गैमन इंडिया को दो साल के लिए काली सूची में डाल दिया गया था। बाद में कटारिया फिर से बहाल हो गए। कंपनी को भी फिर से काम मिल गया।
मामले की जांच के लिए समिति का गठन कर दिया गया है। जो भी जांच में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। – मंगू सिंह [प्रबंध निदेशक, डीएमआरसी]