देश्ा की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी सिविल सर्विसेज में कम्युनिटी कोचिंग के जरिए मुस्लिम समुदाय के युवा भी अच्छी सफलता पा रहे हैं।
वर्ष 2012 की सिविल सेवा परीक्षा के फाइनल परीक्षा परिणामों में 998 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया था जिसमें से 31 उम्मीदवार मुस्लिम थे।
कुल 31 मुस्लिम उम्मीदवारों से 12 उम्मीदवारों का सफलता दिलाने में कम्युनिटी कोचिंग ने अपना अहम रोल अदा किया है।
टीएनएन के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के गांव तख्तपुराल्लाह में रहने वाले वसीम अकरम भी उन्हीं 12 लोगों में से हैं जिन्होंने कम्युनिटी कोचिंग के जरिए आईपीएस बनने का सफर तय किया।
वसीम अकरम ने जामिया मिलिया इस्लामिया से इलेक्ट्रिक्ल इंजीनियरिंग में बीई करने के बाद एल एंड टी में नौकरी कर रहे थे। इसी बीच वोडाफोन ने इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन से पीएचडी करने के लिए वसीम को स्पॉंसर्ड किया था। पर वर्ष 2008 में आर्थिक मंदी के समय वोडाफोन ने आगे फंडिंग करने से मना कर दिया।
तभी वसीम अकरम ने निर्णय किया कि वह सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण करेगा। वसीम ने तैयारी के लिए जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कम्युनिटी कोचिंग में एडमिशन लिया और आगे की तैयारी वहीं से की।
भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी और जेडएफआई के अध्यक्ष सैय्यद जफर महमूद ने बताया कि जेडएफआई से 70 लोगों ने सिविल सेवा की परीक्षा थी। उसमें से 12 लोगों ने फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
उन्होंने बताया कि देश में मुस्लिमों की आबादी के अनुपात के हिसाब से अभी भी यह अनुपात काफी कम है।
सही अनुपात से सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले मुस्लिमों की संख्या 134 होनी चाहिए, जबकि वास्तव में अभी भी यह 30 के स्तर पर है।
वसीम की तरह ही कम्युनिटी कोचिंग के जरिए सफलता पाने वालों में इशरत अजीज (भारतीय विदेश सेवा), नावेद तरम्मबु भारतीय राजस्व सेवा समेत अन्य लोग शामिल हैं।