सबका साथ-सबका विकास’, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अब इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
राममंदिर जैसे विवादित मुद्दे उठाने की बजाए मोदी अब विकास व सुशासन पर जोर देकर अपनी कट्टरवादी छवि से बाहर निकलने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
दिल्ली के जापानी पार्क में मोदी ने अपने मूल मंत्र ‘सबका साथ-सबका विकास’ का उल्लेख कर अल्पसंख्यक समुदाय को संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा उनका भी साथ चाहती है।
भाजपा नेता ने कहा कि किसी भी सरकार का एक ही मजहब होता है कि उसके लिए देश सबसे पहले हो। एक ही धर्म है कि संविधान का पालन किया जाए।
ऐसा कहकर उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को यह भी बताने की कोशिश की कि भाजपा के शासन में उनके साथ अन्याय नहीं होगा। चुनाव प्रचार अभियान में जुटे मोदी किसी भी विवादित मुद्दे को उठाना तो दूर उन्हें छू भी नहीं रहे हैं।
रेवाड़ी की सैनिक रैली हो या भोपाल अथवा अब दिल्ली की रैली। आत्मविश्वास से भरे मोदी सुशासन व विकास के मुद्दे पर यूपीए सरकार व कांग्रेस को निशाने पर लेते हैं, लेकिन विवादित मुद्दों से परहेज कर रहे हैं।
यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर वे खामोश हैं। जबकि संघ व विश्व हिंदू परिषद चाहते रहे हैं कि भाजपा राम मंदिर, धारा 370 व एक समान नागरिक संहिता जैसे पुराने मुद्दों को फिर से उठाए।
भाजपा समेत मोदी को भी मालूम है कि केंद्र में अब गठबंधन सरकारों का दौर है और अगली सरकार बनाने के लिए उसे सहयोगी दलों की जरूरत होगी।
खासतौर पर दिल्ली का तख्त पाने के लिए कट्टर छवि नहीं चलेगी। इसलिए जापानी पार्क में मोदी ने एक कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान को आंखें भी दिखाईं, वे प्रधानमंत्री व राहुल गांधी पर भी बरसे, लेकिन मुद्दा विकास व सुशासन तक सीमित रखा।
खास बात यह है कि कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिन मोदी को राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी थी, उन्हीं मोदी ने अब कहा है कि सरकार का पहला धर्म है संविधान का पालन करना व देश को पहले मानना।