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आसाराम के ‘कोडवर्ड’ की संपूर्ण कुकर्म कथा

asaram-bapu-7-5217a73dd4fa4_exlनाबालिग से रेप मामले में फंसे आसाराम के खिलाफ आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ कोडवर्ड्स भी सामने आए हैं।

पुलिस जांच में सामने आया है कि आसाराम कुछ ऐसे खास शब्दों का इस्तेमाल करते थे जिन्हें उनके आश्रम के लोग ही समझ पाते थे। बाहरी लोगों के लिए इन्हें समझना मुश्किल था। डायल 400, समर्पण, टॉर्च की लाइट कुछ ऐसी ही कोडवर्ड हैं।

डायल 400
पुलिस जांच में सामने आए कोडवर्ड में एक है ‘400 लगाओ’। इसका मतलब है आसाराम के मोबाइल पर फोन करना। आसाराम के बारे में कहा जाता है कि वे मोबाइल नहीं रखते लेकिन यह कोडवर्ड उनके मोबाइल नंबर का ही हिस्सा है।

आसाराम के मोबाइल नंबर के आखिरी तीन अंक ‘400’ है। यह मोबाइल आसाराम का रसोइया रखता है, लेकिन वह केवल फोन उठाता था बात करने की अनुमति नहीं थी।

जांच में पता चला है कि 6 अगस्त को आरोपी शिल्पी ने पीड़िता को समझाया था कि उस पर भूत-प्रेत का साया है और आसाराम उसे ठीक कर सकते है।

उसी दिन से 400 की घंटी बजनी शुरू हो गई। वारदात के आखिरी दिन यानी 16 अगस्त तक 400 पर मामले के दूसरे आरोपी शिल्पी, शिवा और शरतचंद्र आपस में बातचीत करते रहे। जबकि साजिश से पहले तक उनकी इस नंबर पर बात नहीं होती थी।

समर्पण
आसाराम को जब कोई लड़की पसंद आती थी तो वह सेवकों को समर्पण कराने का आदेश देते थे। अगर लड़की समर्पण के लिए तैयार हो जाती तो उसे आसराम के पास अकेले मिलने के भेजा जाता था।

पीड़िता ने भी पुलिस को यही बताया था। लड़की ने बताया कि उसके बीमार होने पर उसे छिंदवाड़ा आश्रम के निदेशक शरतचंद ने अपने ऑफिस में बुलाकर साध्वी बन जाने और आसाराम के लिए समर्पित होने के लिए कहा था।

इसके बाद आसाराम ने भी उसे कुटिया में अंधेरे में बंद करके छेड़खानी करने से पहले भी समर्पण करने के लिए बोला था। एक बार आसाराम लड़की को चुन लेते थे तो समर्पण कराने की जिम्मेदारी शिल्पी की होती थी।

आसाराम के बेटे नारायण साई पर आरोप लगाने वाली इंदौर की महिला ने भी आसाराम पर आरोप लगाया था कि जब वो अजमेर में आसाराम से मिली थी, तो उन्होंने समर्पण करने के लिए कहा था।

नया नाम
आरोपी आसाराम के पास जो लड़की आती थी वो उसे नया नाम दे देते थे। पीड़िता को भी उन्होंने नया नाम दिया था ‘जट्टी’। वह पीड़िता को इसी नाम से पुकारते थे।

इससे पहले आसाराम के लिए काम करने वाले आरोपी शिल्पी का नाम भी बदला गया था। उसका असली नाम संचिता गुप्ता था।

टॉर्च की रोशनी से इशारा
जांच में सामने आया है कि आसाराम अपनी ध्यान की कुटिया में अपने पास टॉच रखा करते थे। अपनी कुटिया में वो अंधेरा करके रखते थे और किसी को भी बुलाने के लिए टॉर्च की रोशनी का इस्तेमाल किया करते थे।

पीड़िता ने भी अपने बयान में यह बात बताई है। पीड़िता ने बताया था कि आसाराम ने कुटिया में पिछले दरवाजे से जाकर आगे का दरवाजा बंद करके कुटिया में अंधेरा कर दिया था। फिर आसाराम ने टॉर्च की रोशनी के ईशारे से उसे अंदर बुलाया था।

इससे पहले यह भी सामने आया था कि आसाराम को जो लड़की पंसद आ जाती थी वो उस लड़की पर टॉर्च की रोशनी डालकर अपने सेवादारों संकते देते थे।

 

NCR Khabar News Desk

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