मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यूपी के प्रभावित क्षेत्र में जाट और मुस्लिम दोनों वर्ग कांग्रेस की तरफ उम्मीद भरी निगाह से देख रहे हैं।
वे कांग्रेस और केंद्र सरकार से चाहते हैं कि वे उनकी बेहतरी और उनके जीवन को फिर सामान्य करने के लिए कुछ काम करे। इसलिए पार्टी को समय रहते हुए वहां के लोगों का विश्वास जीतने की पहल करनी होगी।
दरअसल, मुजफ्फरनगर दौरे से लौटे उत्तर प्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट में इस तरह की राय दी है।
रिपोर्ट में सपा सरकार पर हमला साधते हुए कहा गया है कि अगर राज्य सरकार चाहती तो दंगे रोके जा सकते थे। मगर यह पूर्व नियोजित तरीके से हुआ। दंगों के लिए भाजपा को भी दोषी ठहराया गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वहां ज्यादातर लोग राज्य सरकार को हटाने की मांग कर रहे थे। मिस्त्री ने सिफारिश की है कि केंद्र सरकार से दंगा पीड़ितों को बसाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
खासकर शरणार्थियों को फिर से बसाने के लिए पहल करनी चाहिए। मिस्त्री की इस सिफारिशों पर अमल करते हुए केंद्र की ओर से दंगा पीड़ितों के जख्म भरने की और कोशिश हो सकती है।
बुधवार को मिस्त्री जिले के दंगा प्रभावित इलाकों और राहत शिविर में दौरे के लिए गए थे। मिस्त्री मुस्लिम और जाट समुदाय के प्रभावित परिवार दोनों से मिले। दोनों परिवार के लोगों ने कांग्रेस से मदद की गुहार लगाई है।
दोनों पक्षों की ओर से सीबीआई जांच की मांग की गई है। साथ ही लोग कांग्रेस के प्रति सकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं। दोनों पक्षों की ओर से प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया गया।
प्रतिनिधिमंडल से सिर्फ दंगा प्रभावित एक जाट परिवार ने गुस्से में कहा कि वे उस समय कहां थे, जब हिंसा जारी थी।
जब मिस्त्री ने उनसे कहा कि कानून संभालने का काम तो राज्य सरकार का है। तो परिवार के लोगों का कहना था कि वे समय रहते सेना भेज देते। या फिर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा देते।
दूसरी तरफ 27 अगस्त को मारे गए मुस्लिम युवक के परिवार वालों से भी मिस्त्री ने मुलाकात की। साथ ही शरणार्थी शिविर के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां हालात बहुत खराब हैं।
एक टेंट में कई लोगों को रखा गया है। ये लोग वापस लौटना नहीं चाहते। दूसरी किसी जगह पर सिर्फ जमीन देकर बसाने की मांग कर रहे हैं।