अफ्रीकी मुल्क कीनिया की राजधानी नैरोबी में चरमपंथियों ने एक शापिंग मॉल में लोगों को बंधक बना रखा है।
सोमालिया के चरमपंथी संगठन अल-शबाब के बंदूक़धारियों ने शनिवार को वैस्टगेट मॉल पर हमला कर दिया था जिसमें रेड क्रास के मुताबिक अबतक 68 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 175 घायल हैं।
शनिवार दोपहर हमलावर मॉल में घुसे। वो हैंडग्रेनेड फेंक रहे थे। साथ ही ऑटोमेटिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे थे।
हमले के वक़्त मॉल में स्थानीय ईस्ट एफ़एम रेडियो स्टेशन की ऑपरेशंस डायरेक्टर जैस्मीन पोस्टवाला भी मौजूद थीं। हमले के समय बच्चों का कार्यक्रम आयोजित हो रहा था।
क्या हुआ था वहां?
हमारी पूरी टीम मॉल में मौजूद थी। हम बच्चों के लिए एक कुकिंग कॉन्टेस्ट कर रहे थे। तभी हमें आवाज़ें सुनाई दीं जैसे कि कुछ फटा हो। हमें लगा जैसे किसी रेस्त्रां में रसोई गैस का सिलेंडर फट गया हो।
इसी बीच अचानक गोलीबारी शुरू हो गई। हमलोग दूसरे माले पर पर थे। हमारे पास एक माइक था। हमने बच्चों और उनके माता-पिता को बोला कि वो भागें नहीं और एक कोने में जाकर बैठ जाएं।
जो लोग वहां घुसे थे वो वहां पर हत्याएं करने के इरादे से आए थे बस।
वो किसी को भी देख कर गोली से उड़ा रहे थे। वो बच्चों को भी मार रहे थे। उनके माता-पिता पर गोलियां चला रहे थे। हमारे ऊपर हथगोले फेंक रहे थे। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।
हमने छत पर तो दो हत्यारों को ही देखा, लेकिन कहा जा रहा है कि कुल चार लोग थे। हम जहां पर छिपे हुए थे वहां से दो ही दिख रहे थे। एक तो मेरे बिल्कुल नज़दीक था। हमलोग हाथ जोड़ कर उनसे विनती कर रहे थे कि बच्चों को जाने दो।
हथियारबंद लोगों ने क्या कहा?
वो लोग हमें जवाब दे रहे थे कि आप लोगों ने हमारे बच्चों को नहीं छोड़ा तो हम क्यों छोड़ दें। वो लोग अंग्रेजी में बात कर रहे थे। लेकिन वो लोग कहां से हैं, ऐसा क्यों कर रहे हैं, इनती बातें नहीं हो पाईं।
वो लोग कुछ बोल तो रहे थे लेकिन हम लोग इतने डरे हुए थे कि हमें आधी बातें सुनाई नहीं दे रहीं थीं। चारों तरफ़ बच्चों की चीखें थीं, गोलियों की आवाज़ें थीं, हथगोलों के धमाके थे।
अराजकता का माहौल था। वो लोग बस सोच कर आए थे कि सबको मारना है, उन्हें और कुछ नहीं चाहिए था।
मॉल में चार मंज़िलें हैं। हम लोग दूसरी मंज़िल की छत पर थे। क्योंकि कुकिंग कॉन्टेस्ट चल रहा था, वहां सिलेंडर रखे थे। उन्होंने सिलेंडरों पर गोलियाँ चलाईं तो सिलेंडर फट गए। फिर जहां जो लोग छिपे हुए थे उन्होंने बच कर भागने की कोशिश की।
उन लोगों ने भाग रहे लोगों पर भी गोलियां चलानी शुरू कर दीं। हमारी साथी रोहिला राडिया उन गोलियों का शिकार हो गईं। वो आठ माह की गर्भवती थीं। हमारे बहुत ही अच्छे दोस्त और कार्यक्रम के प्रायोजक, मितुल भी नहीं रहे।
मुझे लगता है दो या तीन प्रतिभागी बच्चे, उनकी मम्मी मालती और मुझे लगता है बहुत से लोग जिन्हें हम जानते थे, वो भी नहीं रहे। लगभग दो घंटे तक हम ज़मीन पर लेटे रहे। पता नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है।
वहां से बचकर कैसे निकले?
फिर अफरातफरी कुछ कम हुई। तब एक विदेशी ने, जिसके हाथ में एक छोटी पिस्तौल थी। उसने हमारी टीम को इशारा किया कि हमारी तरफ आओ। हमें पता नहीं था कि वो सही इंसान है या नहीं है।
हम डरते-डरते उठे। वहां एक जावा कॉफी शॉप है उसकी रसोई के रास्ते से हमें ले जाया गया। हमारे दल में जितने लोग थे सभी एक दूसरे की मदद कर रहे थे। जिन्हें गोली लगी थी वो भी दूसरों की मदद की कोशिश कर रहे थे।
बच्चों को हम ट्रोलियों में डाल कर ले गए। उस रसोई के रास्ते के पीछे बाहर निकले का एक रास्ता भी है।
बुरी तरह घायल हूं
सौभाग्य से वहां हम ठीक थे और वहां से हम बाहर निकल आए। मेरा पैर फ्रेक्चर हुआ है और मेरे पैर के अंदर धातु का एक टुकड़ा घुस गया है लेकिन अस्पताल में अभी ज़्यादा गंभीर रूप से घायल लोगों का उपचार किया जा रहा है।
मुझे अभी आराम करने को कहा गया है। मैं अभी ठीक हूं। अस्पताल में बहुत लोगों को ख़ून की आवश्यकता है।
सभी केंद्रों पर लोगों से ख़ून देने को कहा जा रहा है लेकिन हम बस यही दुआ कर रहे हैं कि वैस्टगेट शॉपिंग मॉल में अभी और भी जो लोग फंसे हुए हैं वो लोग निकल आएं तो ये सब जो चल रहा है वो जल्दी से ख़त्म हो जाए।