नई दिल्ली- जिला ग्राम विकास अभिकरणों (डीआरडीए) को जिला परिषदों को सौंपने की घोषणा के बाद से कई राज्यों में इसके कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। सबसे खराब हालत उत्तर प्रदेश के अधिकारियों व कर्मचारियों की है, जिन्हें राज्य सरकार ने नौकरी से निकालने की धमकी दी है। घबराए कर्मचारियों ने केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन यहां भी उनकी नहीं सुनी गई। केंद्र ने तो पहले ही 35 साल पुराने इन कर्मचारियों से पल्ला झाड़ लिया है।
केंद्रीय ग्रामीण योजनाओं के संचालन में हाथ बंटा रहे इन अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन का 75 फीसद हिस्सा केंद्र और 25 फीसद राज्य सरकार वहन करती है। जिला परिषदों को सौंपने के फैसले के बाद भी केंद्र उनके वेतन का अपना हिस्सा पहले की तरह देने को राजी है। उत्तर प्रदेश के 1,100 से अधिक जिला ग्राम विकास अभिकरणों के कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार ने वेतन भुगतान से यह कहकर हाथ खींच लिया है कि केंद्र से धन का आवंटन ही नहीं हो रहा है। यूपी के कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में ग्राम विकास के प्रमुख सचिव अरुण सिंघल ने पिछले दिनों एक बैठक में नौकरी से निकालने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र से अभिकरण जिला परिषदों को सौंपने की चिट्ठी आते ही राज्य सरकार नोटिस पकड़ा कर इसके कर्मचारियों की छुंट्टी कर देगी। इससे राज्य के कर्मचारी बौखला गए हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भी कर्मचारियों से मिलने से इन्कार कर दिया।
जयराम ने जुलाई में डीआरडीए के परियोजना निदेशकों के सम्मेलन में एलान किया था कि डीआरडीए को जिला परिषदों को सौंपा जाएगा। उनके एलान पर पहली अप्रैल, 2014 से अमल शुरू हो जाएगा। केंद्र ने यह फैसला वी. रामचंद्रन समिति की सिफारिशों पर लिया है। फिलहाल यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के विचाराधीन है। डीआरडीए को जिला परिषदों को सौंपने संबंधी प्रस्ताव सभी राज्य सरकारों को भेज दिए गए हैं। किसी राज्य की ओर से इस पर एतराज नहीं जताया गया है। जयराम ने कहा कि जिलों में अब डीआरडीए स्वतंत्र निकाय के रूप में काम नहीं करेंगे। 12वीं योजना में डीआरडीए के लिए कुल 5,300 करोड़ रुपये बजट मंजूर किया गया है।