त्योहारों से पहले वृहस्पतिवार को बाजार में रौनक लौट आई जिसने निवेशकों के साथ-साथ आर्थिक मोर्चों पर जूझ रही सरकार को भी खासी राहत दी है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहन पैकेज जारी रखने के फैसले ने भारतीय बाजारों में जबरदस्त जोश भर दिया।
घरेलू शेयर बाजार तीन साल के टॉप पर पहुंच गए और डॉलर के मुकाबले रुपया 61 के दायरे में आकर एक माह के उच्चतम स्तर पर आ गया। फेड रिजर्व के फैसले पर सोने ने भी दम दिखाया और इसके भाव 410 रुपए प्रति दस ग्राम उछल गए।
हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक समीक्षा से एक दिन पहले ही कर्ज की ब्याज दरें बढ़ाकर थोड़ा झटका जरूर दिया है।
फेडरल रिजर्व ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास के पुख्ता सबूत मिलने तक प्रतिमाह 85 अरब डॉलर के बांड खरीदने की योजना जारी रखने का फैसला किया है।
फेड रिजर्व के आर्थिक मंदी के समय में दिए गए प्रोत्साहन पैकेज के फिलहाल वापस नहीं लिए जाने की इन खबरों से ग्लोबल बाजारों सहित भारतीय शेयर बाजारों में रौनक आ गई।
बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 684 अंक की जोरदार बढ़त के 20 हजार के पार 20,647 पर बंद हुआ।
यह सेंसेक्स का नवंबर 2010 के बाद के उच्चतम स्तर है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 216 अंक तेजी लेकर 6,115 अंक पर रहा। शेयर बाजारों में जोरदार तेजी से लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2,46,188 करोड़ रुपए बढ़ गया।
दूसरी ओर, डॉलर के मुकाबले रुपए ने 161 पैसे की जबरदस्त मजबूती ली और 61.77 के स्तर पर बंद हुआ। यह रुपए में पिछले एक माह का शीर्ष स्तर रहा।
फेड रिजर्व के फैसले, घरेलू बाजारों में तेजी और विदेशों में डॉलर के कमजोर पड़ने से रुपया मजबूत हुआ। शेयर और रुपए के साथ-साथ सोने-चांदी की कीमतों में भी मजबूती आई।
घरेलू सराफा बाजार में सोने के दाम 410 रुपए बढ़कर 30,810 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गए। चांदी के भाव भी 990 रुपए उछलकर 51,200 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहन पैकेज जारी रखने के अलावा सरकार द्वारा सोने-चांदी के गहनों पर आयात शुल्क बढ़ाने से सराफा में तेजी का रुख बना रहा।
रुपए में मजबूती का असर
रुपए के मजबूत होने से सरकार का आयात बिल कम होगा। इससे चालू खाता घाटे में कमी आएगी और व्यापार घाटे का असंतुलन कम होगा। पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी से बच सकती हैं पेट्रो कंपनियां, जिससे आगे महंगाई भड़कने का खतरा कम रहेगा। विदेशी कर्ज की देनदारी कम होगी। विदेश यात्रा और विदेशों में पढ़ाई की लागत घटेगी।
मौद्रिक समीक्षा से अधिक उम्मीदें
रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभलने के बाद शुक्रवार को अपनी पहली कर्ज एवं मौद्रिक नीति समीक्षा पेश कर रहे रघुराम राजन से उद्योग जगत को कुछ ‘अप्रत्याशित’ होने की उम्मीद है।
उद्योगों का यहां तक मानना है कि राजन ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। वहीं, रुपए को रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर से उबारने के लिए किए गए आपातकालीन उपायों में से कुछ के वापस लिए जाने की संभावना है।
एसबीआई ने महंगा किया लोन
रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से ठीक पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी न्यूनतम उधारी दर (बेस रेट) में 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी का आम ग्राहकों को झटका जरूर दिया है।
बैंक की इस पहल से हर तरह का लोन महंगा हो जाएगा। हालांकि, एसबीआई ने एक करोड़ रुपए से कम की सावधि जमाओं पर भी ब्याज दर में एक प्रतिशत तक बढ़ोतरी किए जाने की घोषणा की है।
कार कंपनियां बढ़ा रही हैं दाम
रुपए की कमजोरी और उत्पादन लागत बढ़ने का हवाला देकर कार कंपनियां कीमतें बढ़ा रही हैं। ह्यूंदे मोटर ने अगले 1 अक्तूबर से अपनी नई लांच ग्रैंड आई10 को छोड़कर सभी कारों की कीमतें 20,000 रुपए तक बढ़ा दी है। इसके अलावा टाटा मोटर्स और जीएम अपने वाहनों की कीमत डेढ़ फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी में हैं।