भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उनकी तरफ से बनाई गई सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट के लिए उपलब्ध फंड को उमर अब्दुल्ला की जम्मू-कश्मीर सरकार को गिराने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सेना ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वी. के. सिंह के कार्यकाल में बनाई गई ‘सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट’ की गतिविधियों की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने का आग्रह किया है। सेना को शक है कि इस यूनिट ने ‘अवैध गतिविधियां और वित्तीय गड़बड़ियां की हैं।
इन खबरों पर जनरल वी. के. सिंह ने कहा कि यह आपसी झगड़े का नतीजा है। कुछ लोग मेरे द्वारा देश के पूर्व सैनिकों के हितों के लिए नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने से सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी ने इस यूनिट के खिलाफ जांच की सिफारिश की है तो वह व्यक्ति बेमतलब की बात कर रहा है। पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि यह अभियान गुप्त रखने के लिए था।
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के सीनियर ऑफिसरों की अवैध तरीके से फोन टैपिंग करने के आरोपी ‘टेक्निकल सपोर्ट डिपार्टमेंट’ के बारे में सेना की रिपोर्ट हाल में रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट की गतिविधियों पर शक जाहिर की गई है। हालांकि इस मसले पर सेना मुख्यालय ने कहा कि उनकी ओर से मामला बंद है। वह इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।
सेना अपनी ओर से इस यूनिट के खिलाफ जांच नहीं करना चाहती क्योंकि वह अपने पूर्व जनरल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नहीं दिखना चाहती। यह रिपोर्ट जनरल बिक्रम सिंह द्वारा गठित बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स (बीओओ) की ओर से सैन्य अभियान के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने तैयार की। भाटिया की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह यूनिट ‘अवैध गतिविधियों’ में शामिल रही है।