चुनावी सर्वे पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के संबंध में सरकार ने सोमवार को साफ कर दिया है कि इस समय ऐसा कोई विचार नहीं है। इसके लिए विपक्षी दलों से सहमति लेने की जरूरत है।
केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि इस समय पोल पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों से बातचीत किए बिना कोई भी सरकार चुनावी सर्वे पर बैन नहीं लगा सकती।’
ऐसी चर्चा है कि केंद्र सरकार चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
सिब्बल ने भी लोकसभा को जानकारी दी थी कि इस संदर्भ में चुनाव आयोग ने अपना प्रस्ताव सरकार को भेजा है।
सरकार में मौजूद सूत्रों का कहना है कि आयोग के प्रस्ताव पर विचार हो रहा है और चुनाव आयोग के साथ चर्चा के बाद इस मसले पर निर्णय लिया जाएगा।
अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने 13 जून को चुनाव आयोग के उस प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसमें आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा और मतदान के आखिरी चरण के बीच में ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने की बात कही थी।
मौजूदा कानून चुनाव आयोग को मात्र मतदान के 48 घंटे की अवधि तक ही रोक की अनुमति देता है।
अटॉर्नी जनरल ने अपनी राय में कहा था कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए यह जरूरी है। चुनाव आयोग की राय से कोई भी असहमत नहीं हो सकता है कि ऐसे ओपिनियन पोल अकसर मतदाताओं पर प्रभाव डालते हैं।