अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की दर में एक रुपए प्रति डॉलर की भी कमजोरी आते ही तेल कंपनियों घाटा आठ से दस हजार करोड़ रुपए बढ़ जाता है। अगर रुपया इसी तरह गिरता रहा, तो पेट्रोलियम कंपनियों का चलना मुश्किल हो जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए की गिरावट की वजह से तेल कंपनियों का घाटा बेतहाशा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमत बढ़ाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।
यह कहना है कि तेल एवं गैस उत्पादन क्षेत्र की सबसे बड़ी भारतीय सार्वजनिक कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुधीर वासुदेवा का।
अमर उजाला से विशेष बातचीत में सुधीर वासुदेवा कहते हैं कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए देश में एक एकीकृत ऊर्जा मंत्रालय बनाया जाना चाहिए, जिसके अधीन पेट्रोलियम, बिजली, कोयला, परमाणु और अपरंपरागत ऊर्जा क्षेत्र को रखा जाना चाहिए।
ये सभी एक दूसरे के पूरक हैं, लेकिन अभी यह सारे विभाग अलग अलग मंत्रालयों के अधीन होने से इनके बीच बेहतर समन्वय का अभाव है।
हर मंत्रालय अपने अपने हिसाब से नीतियां बनाता है और इनके बीच हितों के टकराव की वजह से कई परियोजनाओं का काम समय से पूरा नहीं हो पाता।
वासुदेवा कहते हैं कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत हर साल पांच प्रतिशत बढ़ रही है, जबकि उत्पादन पिछले दस सालों से यथावत है। ऐसे में तेल क्षेत्र में आयात पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है और आयात लागत हर साल छह गुणा हो रही है।
इसके लिए देश की परिवहन प्रणाली में बदलाव जरूरी है। अभी 85 फीसदी लोग सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं और माल की ढुलाई भी 67 फीसदी सड़क मार्ग से होती है। इसे बदलना जरूरी है। माल ढुलाई में रेल मार्ग का हिस्सा बढ़ाना होगा।
ओएनजीसी सीएमडी का कहना है कि पेट्रोल, गैस, कोयला के ज्यादातर भंडार विकासशील देशों के पास हैं, लेकिन उच्च तकनीक की वजह से विश्व के ऊर्जा क्षेत्र पर अमेरिका और पश्चिमी देशों का वर्चस्व है।
तेल क्षेत्र की सभी बड़ी कंपनियां अमेरिकी और यूरोपीय हैं और वही अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम बाजार को नियंत्रित करती हैं।
अब आसानी से तेल निकालने का युग खत्म हो गया है और जमीन की गहराई में दबे तेल और गैस को निकालने के लिए उच्च तकनीक की जरूरत है।
इसलिए भारत और दूसरे विकासशील देशों को तकनीकी विकास की तरफ ध्यान देना होगा, तभी हमारी तेल और गैस क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम हो सकेगी।