शाहजहांपुर। ‘पापा, अब मैं जीना नहीं चाहती.., आसाराम के बाद अब वकील मुझे विक्षिप्त और दुष्चरित्र बताने की कोशिश कर रहे हैं, आखिर मेरा कसूर क्या है। बस पापा बस..अब नहीं सहा जाता।’ खुद को लेकर दिए गए आसाराम के वकील का बयान सुनकर दुष्कर्म पीड़ित छात्रा के मुंह से यही अल्फाज फूट पड़े। इस कदर आहत हो गई कि रुलाई फूट पड़ी। खुद को कमरे में बंद कर लिया और त्याग दिया खाना-पीना भी। शाम को वकील जब आसाराम की जमानत एक अक्टूबर तक खारिज होने की खबर आई तो भी बिटिया कुछ नहीं बोली। बैठी रही गुमसुम।
पीड़िता की मां ने कहा कि आसाराम की पैरवी करने वाले वकील साहब जो भी करें, उनकी बेटी पर कीचड़ न उछालें। हमारी बेटी बहादुर है, जिसने आसाराम के घिनौने कृत्यों को उजागर किया। अब आसाराम को बचाने के लिए वकील जिस तरह उनकी बेटी का चरित्र हनन कर रहे हैं, उस पर रोक लगनी चाहिए। अन्यथा दुष्कर्म की शिकार बेटियां न्याय की लड़ाई की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगी..।