2008 में इमरजेंसी क्लॉज लगाकर नोएडा के सालारपुर गांव में की गई 182 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट ने कैंसल कर दिया है। इमरजेंसी क्लॉज लगाकर जारी की गई अधिसूचना को कोर्ट ने गैर कानूनी बताया है। इस मामले में राजेंद्र एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से दायर की गई एसएलपी को स्वीकार करने की अनुमति दे दी गई है। गौरतलब है कि अथॉरिटी के मास्टर प्लान में सालारपुर की इस 182 एकड़ जमीन पर ग्रीन रिक्रियेशन सेंटर बनाने की योजना थी। अब अथॉरिटी इस जमीन का नए सिरे से अधिग्रहण करेगी। कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी मिलने के बाद इसकी प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी।
राजेंद्र एस्टेट ने इंदिरा आवास कालोनी बनाने के लिए यह जमीन खरीदी थी। अथॉरिटी ने इस जमीन अधिग्रहीत करने के लिए इमरजेंसी क्लॉज लगाकर सेक्शन-4 की अधिसूचना जारी की थी। 2009 में सेक्शन-6 की अधिसूचना जारी की गई। इस पर राजेंद्र एस्टेट ने अपनी कॉलोनी से जुड़ी परमीशन के लिए राज्य सरकार के पास आवेदन किया। वहां से लैंड यूज की अनुमति भी मिल गई। इसके बाद भी यह फाइल नोएडा अथॉरिटी में पेंडिंग रही। अथॉरिटी इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई। अलबत्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट से फैसला नोएडा अथॉरिटी के पक्ष में आया। इसे राजेंद्र एस्टेट ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी डाली। इसे सोमवार को अनुमति भी दे दी गई।
उधर नोएडा अथॉरिटी व यूपी गवर्नमेंट के लिए यह एक बड़ा झटका है। इस फैसले ने नोएडा अथॉरिटी की भूमि अधिग्रहण करने के तौर तरीके पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। कोर्ट ने इमरजेंसी क्लॉज लगाकर जमीन के लिए अधिसूचना को गैर कानूनी घोषित करने के साथ कैंसल करने के फैसले के दूरगामी असर हो सकते हैं। इसे लेकर अथॉरिटी के अफसर चिंतित भी हैं।
नोएडा अथॉरिटी के अडिशनल सीईओ पी.के. अग्रवाल ने बताया कि यह जमीन सेक्टर 101 में आती है। यहां मास्टर प्लान में रिक्रियेशन सेंटर बनना था। अब अथॉरिटी नए सिरे से जमीन अधिग्रहण करेगी। जरूरी हुआ तो समझौते के तहत भी जमीन ली जा सकती है। इससे जुड़े किसानों को कोटे के तहत मिलने वाले प्लॉट व बढ़ी दरों का मुआवजा मिल सकता है।