नई दिल्ली ।। इशरत जहां एनकाउंटर केस के बहाने नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश में एक कांग्रेस नेता ने न केवल वरिष्ठ बीजेपी नेताओं को समाजविरोधी करार दिया बल्कि 84 में हुए सिखों के नरसंहार को भी वक्त की जरूरत बता दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने इस बयान पर सफाई देते हुए माफी भी मांगी।
इशरत एनकाउंटर केस को लेकर सोशल साइटों पर भी माहौल गरमाया हुआ है। इसके पक्ष और विरोध में तीखी बहस चल रही है। इसी बहस के दौरान ट्विटर पर अजहर नाम के एक शख्स ने मोदी, आडवाणी, राजनाथ और सुषमा स्वराज का नाम लेते हुए उन्हें समाजविरोधी तत्व बता दिया। इसके जवाब में उनसे पूछा गया कि आप 84 में होने वाले 4000 सिखों के नरसंहार पर क्या कहेंगे जिसे राजीव गांधी ने ‘जब बड़ा पेड़ गिरता है…’ वाले बयान से सही ठहराने की कोशिश की थी? इस पर आईएम अजहर ने पूरी बेशर्मी से कहा, ‘सिखों को मारना उस वक्त की जरूरत थी।’
गौर करने की बात है कि यह अजहर कोई आम शख्स नहीं बल्कि कांग्रेस के एक नेता हैं। उनके ट्विटर अकाउंट पर दिए गए परिचय के मुताबिक वह एनएसयूआई के नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट मुंबई इकाई के महासचिव हैं।
बहस में कांग्रेस के यह नेता यहीं नहीं रुके। जब उनके इस बयान की प्रतिक्रिया में उन्हें लोगों ने घेरते हुए कहा कि ‘आपने अपना असली सांप्रदायिक, आपराधिक और हिंसक रूप दिखा दिया’ तो उन्होंने जवाब में दलील दी कि स्वर्ण मंदिर में बैठे सिख कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। वे सत्ता के लिए अपने ही देशवासियों से लड़ रहे थे।’
बाद में जब उन पर चारों तरफ से हमला होने लगा और उनके लिए अपना बचाव करना मुश्किल होने लगा तो उन्होंने यह कहते हुए अपना बयान वापस ले लिया कि ‘मैं 84 के सिख नरसंहार को गलती से ऑपरेशन ब्लू स्टार समझ बैठा था। माफ करें।’ बाद में उन्होंने वे विवादास्पद ट्वीट भी डिलीट कर दिए। लेकिन तब तक मामला काफी आगे बढ़ चुका था।