
भोपाल। देश में जब तक बच्चों पर होने वाला हर जुल्म खत्म नहीं होता तब तक मैं गर्व से जय हिंद, भारत माता की जय और वंदे मातरम नहीं बोल पाऊंगा। बच्चों को आजादी, सुरक्षा यहां तक की उन्हें अपने सपनों से वंचित रखा जाना किसी जघन्य अपराध से कम नहीं है। यह बात शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने बुधवार को राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने राज्यपाल रामनरेश यादव सहित उपस्थित लोगों को नोबेल पुरस्कार दिखाया। राज्यपाल को पुरस्कार के प्रमाण-पत्र की कॉपी भेंट की।
राज्यपाल ने कैलाश सत्यार्थी को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने बचपन बचाओ आंदोलन से विदिशा का नाम विश्र्व भर में अमर कर दिया है। सत्यार्थी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही उनकी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात हुई। उन्होंने जो बात कही वह जीवन भर मुझे याद रहेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर के बाद यह नोबेल शांति पुरस्कार ऐसे भारतीय को मिला है जो भारत में रहेगा। टैगोर का पुरस्कार चोरी हो गया। विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए नार्वे के ओस्लो से पुरस्कार की कॉपी वे लेकर भी आए, लेकिन टैगोर के रिश्तेदार उसे ले गए। इसके अलावा यह पुरस्कार जितनों को मिला है उन्होंने पढ़ाई तो भारत में की लेकिन रहते विदेश में हैं।