
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए बयान पर पार्टी के अंदर नाराजगी के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि उनके बयान को मोदी के विरोध के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।
शॉटगन का यह भी कहना है कि उन्होंने पार्टी का अनुशासन नहीं तोड़ा है और वे अपने बयान पर कायम हैं।
इससे पहले मंगलवार को शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी में बड़े नेताओं को दरकिनार करने और नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी पर बयान दिया था।
इस पर सफाई देते हुए उन्होंने गुरुवार को कहा कि अगर भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनती है, तो उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा सहित सभी वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त होना चाहिए।
शत्रुघ्न ने मोदी को भाजपा कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने वाला भी कहा।
शत्रुघ्न के पिछले बयान पर पार्टी के उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आशंका पर उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को कोई अनुशासन नहीं तोड़ा है। मैंने तो पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में जीतने के लिए केवल एक सलाह दी है।
पार्टी का अनुशासित सिपाही
शत्रुघ्न ने कहा कि वह अपने फिल्मी करियर के सफलतम दौर में एक अनुशासित सिपाही के तौर पर भाजपा में शामिल हुए थे, ऐसे में वे पार्टी को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोच सकते हैं।
अभिनेता ने कहा कि वह पहले व्यक्ति थे जिसने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि वह राष्ट्रीय नेता बनने की क्षमता रखते हैं। इसे बाद में यशवंत सिन्हा ने भी दोहराया था।
जदयू के भाजपा से अलग हो जाने के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात किए जाने के संबंध में शत्रुघ्न ने कहा कि यह मुलाकात न तो गुप्त थी बल्कि वह मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए गए थे। इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था।
पहले बोले थे बागी बोल
भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने मंगलवार को कहना था कि ऐसा लगता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है, जो अफसोस का विषय है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को लगभग पीएम पद का दावेदार तय करने का मतलब क्या है, इसके जवाब में सिन्हा ने इसके जवाब में कहा, ‘लगभग का मतलब यह है कि चाय की प्याली और होंठ के बीच फासला बाकी है।
उन्होंने कहा कि यह मैं भी मानता हूं कि मोदी लोकप्रिय हैं, सक्षम हैं और सफल हैं। लेकिन प्रधानमंत्री पद के दावेदार का नाम ‘पार्टी के सांसद, बड़े-बुजुर्ग मिलकर तय करेंगे।