डॉलर की तुलना में रुपए की इतनी पिटाई हो रही है कि उसे सहलाने तक का मौका नहीं मिल रहा। सोमवार को वह डॉलर की तुलना में 61.21 के स्तर तक लुढ़क गया था, जो गिरावट का नया रिकॉर्ड है। बाद में यह कुछ संभला जरूर।
मंगलवार को भी इसमें कुछ जान लौटी और शुरुआती कारोबारी सत्र में यह 48 पैसे की मजबूती के साथ 60.13 तक उठने में कामयाब रहा। रुपए की कमजोरी की खबरें, सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि इसका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ रहा है।
यह गिरावट खास तौर से उन लोगों को काफी दर्द देगी, जिन्होंने मई की शुरुआत में विदेश घूमने या पढ़ाई के लिए बाहर जाने की योजना बनाई थी।
इसके अलावा निकट भविष्य में ये देश के सभी लोगों को तंग करेगा, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल समेत कई कंपनियां कच्चे माल का दाम बढ़ने की भरपाई अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाकर करेंगी।
अगर सरकार महंगे तेल आयात का बोझ ग्राहकों तक बढ़ाने का फैसला करेगी, तो पेट्रोल-डीजल समेत कई चीजों के दाम बढ़ जाएंगे।
इससे इनफ्लेशन में उछाल आएगा और ऐसा हुआ, तो आरबीआई पॉलिसी दरों में कटौती नहीं करेगा, जिससे सभी तरह के लोन की ईएमआई ज्यादा बनी रहेगी।
हालांकि, डॉलर की मजबूती ने उभरते हुए सभी बाजारों पर चोट की है, लेकिन भारत पर खासा असर हुआ है, क्योंकि उसे अपने चालू खाते घाटे की भरपाई के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा, जो जीडीपी का 4.8 फीसदी है।
रुपए ने पहली बार 61 का स्तर तोड़ा है। इससे पहले उसका सबसे निचला स्तर 26 जून को रहा था, जब वह 60.76 तक पहुंच गया था।