भाजपा कैसे करेगी कांग्रेस के इस ‘ब्रह्मास्त्र’ का सामना
गरीबों को भोजन की गारंटी देने वाले खाद्य सुरक्षा अध्यादेश ने भाजपा को अजीब दुविधा में डाल दिया है।
यूपीए सरकार अपने इस फैसले को अगले लोकसभा चुनावों के लिए ब्रह्मास्त्र मान रही है। वहीं भाजपा के लिए संकट यह है कि वह अगर संसद में इस विधेयक को पारित करवाती है तो सदन में कांग्रेस और सरकार की जीत होगी।
अगर भाजपा इसका विरोध करती है तो जनता के बीच भाजपा के सामने हार का खतरा है। क्योंकि यह मुद्दा देश की दो तिहाई आबादी के जीवन से सीधा जुड़ा है।
इसलिए खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर पार्टी में शीर्ष स्तर पर मंथन के बाद तय किया गया है कि भाजपा सदन में कुछ संशोधन पेश करते हुए विधेयक के समर्थन की पेशकश करेगी।
विधेयक के समर्थन या विरोध का फैसला भाजपा द्वारा पेश किए गए संशोधनों पर सरकार के रुख केबाद तभी किया जाएगा जब विधेयक संसद में चर्चा के लिए आएगा।
भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक भाजपा ने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग के अधिकारों और हितों के लिए काम किया है।
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों ने गरीबों को सस्ता अनाज देने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। इसलिए हम खाद्य सुरक्षा विधेयक के पक्ष में हैं, लेकिन हम इसमें कुछ संशोधन पेश करेंगे।
भाजपा प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के मुताबिक विधेयक पर पार्टी अपना रुख तब तय करेगी जब इसे संसद में चर्चा के लिए लाया जाएगा। लेकिन जिस तरह से सरकार ने जल्दबाजी में अध्यादेश लाकर इसे चुनाव में भुनाने की कोशिश की है, भाजपा इसका विरोध करेगी।
‘राम रोटी और इंसाफ’ का नारा देकर चुनाव लड़ चुकी भाजपा के लिए अगले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और यूपीए सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई और भ्रष्टाचार का है।
भाजपा समेत पूरे विपक्ष का आरोप है कि यूपीए सरकार के दस वर्षो के शासन में महंगाई बेतहाशा बढ़ी है और आम आदमी का जीना हराम हो गया है।
विपक्ष के इस आरोप की धार को कुंद करने के लिए सरकार खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लेकर आई और मानसून सत्र में इसे कानून बनाने के लिए संसद में पेश करेगी।
अपने इस कदम के जरिए यूपीए सरकार विधयेक का विरोध करने वाले दलों को जनता के बीच कटघरे में खड़ा करते हुए उन्हें गरीब विरोधी साबित करने का दांव चलेगी।
जहां जल्दबाजी में अध्यादेश लाने का विरोध करते हुए भी वाम दलों ने विधेयक का समर्थन करने का फैसला किया है, वहीं जनता दल(यू), बीजू जनता दल, डीएमके, बसपा आदि दल भी विधेयक का समर्थन कर सकते हैं।
जबकि समाजवादी पार्टी ने इसे किसान विरोधी बताते हुए सदन में विरोध करने का ऐलान किया है। ऐसे में भाजपा का असमंजस है कि विधेयक का विरोध करके वह खुद को समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा करके कांग्रेस को गरीब विरोधी कहने का मौका नहीं देना चाहती है।
साथ ही पार्टी सरकार द्वारा तैयार विधेयक का हूबहू समर्थन करके कांग्रेस की पिछलग्गू भी नहीं बनना चाहती है।