धनबाद, दुमका के काठीकुंड थाना क्षेत्र में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार अदम्य साहस का परिचय देते हुए नक्सलियों से काफी देर तक लड़ते रहे। अंतत: जब उनकी रिवॉल्वर की गोलियां खत्म हो गई तो नक्सली उन्हें मोर्चे से खींचकर ले गए और बेरहमी से मारा डाला। यह आंखों देखी कहानी शहीद एसपी के घायल अंगरक्षक लोबेनियस मरांडी ने बयां की है। वह अभी धनबाद केंद्रीय अस्पताल के गहन चिकित्सा केंद्र में भर्ती हैं।
उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए अंगरक्षक ने बताया कि नक्सलियों ने अचानक सड़क के दोनों ओर से एसपी साहब की गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। शुरू में ही एक गोली अंगरक्षक चंदन थापा को लगी। स्थिति को भांपते हुए एसपी साहब खुद गाड़ी से उतर गए। उनके पीछे कवर फायरिंग करते हुए मैं भी गाड़ी से उतरा और साहब के साथ एक पेड़ के पीछे से नक्सलियों पर जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान नक्सलियों के एक जत्थे से एसपी साहब की मुठभेड़ चल रही थी। वह जत्था काफी नजदीक आ गया। जबकि दूसरा जत्था साहब की एस्कॉर्ट पार्टी को टारगेट कर गोली चला रहा था। थोड़ी देर में ही चारों ओर से गोली चलने लगी।
जवाबी फायरिंग में साहब के रिवॉल्वर के साथ मेरे हथियार की भी गोली खत्म हो गई। इसी बीच एक गोली मेरे (मरांडी के) बाएं हाथ में लगी और मैं गिर गया। साहब भी मेरी हालत देखकर घबरा गए। धीरे-धीरे मेरी आंखें बंद होने लगीं। तभी अचानक आधा दर्जन नक्सली पेड़ के पास आ धमके और साहब को पकड़ लिया। उन्हें खींचते हुए ले गए। नक्सलियों की इस हरकत के बाद ही मेरी (मरांडी की) आंखें बंद हो गई। जब उसकी आंखें खुलीं तो खुद को अस्पताल में पाया।