उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिला अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड एक बार फिर चर्चा में है। इस बार मामला एक मुर्दे के इलाज का है।
इमरजेंसी में भर्ती एक मरीज की मौत हो गई। एक डाक्टर ने मुर्दे को मोर्चरी में भेजने का आदेश कर दिया। ड्यूटी बदलते ही दूसरे डॉक्टर ने शव का फिर से इलाज शुरू कर दिया। इतना ही नहीं मुर्दे को जीवनरक्षक इंजेक्शन तक लगा दिए गए।
अब मामले ने तूल पकड़ा तो सीएमएस ने डॉक्टर को इमरजेंसी ड्यूटी से हटा नोटिस भेज जवाब मांगा है। जांच के आदेश दिए गए हैं।
29 मई 2013 को शाम 8:40 बजे 108 एंबुलेंस सेवा ने बुरी तरह घायल चालीस वर्षीय रामनाथ को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। 21 जून की सुबह करीब पौने आठ बजे रामनाथ ने दम तोड़ दिया।
ड्यूटी पर तैनात डॉ. तरुण यादव ने उसके शव को मोर्चरी में रखवाने के आदेश दिए। सुबह आठ बजे ड्यूटी बदली तो डॉ. धर्मेंद्र सैनी आए। उन्होंने कागजात चेक किए तो शव को मोर्चरी से वापस मंगवा लिया।
सुबह 8.25 बजे शव को इमरजेंसी में लाया गया। डॉ. सैनी ने पांच मिनट के अंदर मुर्दे को सात जीवनरक्षक इंजेक्शन लगा दिए। साढ़े आठ बजे उसे फिर से मृत घोषित कर मोर्चरी में दाखिल करा दिया।
दस दिन तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ये मामला दबाए रहे, लेकिन स्टाफ में इसको लेकर रोष पनपता रहा। सीएमएस डॉ. शैली मेहरोत्रा को स्टाफ ने मौखिक शिकायत की तो उन्होंने कागजात तलब किए। सीएमएस ने डॉ. सैनी को नोटिस देकर जवाब मांगा है। साथ ही उन्हें ड्यूटी से हटा दिया गया है। मामला स्वास्थ्य विभाग में काफी चर्चा में है।
‘स्टाफ की मौखिक शिकायत पर प्राथमिक जांच कराई गई, उसमें आरोपों की पुष्टि होती प्रतीत हो रही है, जांच के आदेश दिए गए हैं, तब तक डा. सैनी को इमरजेंसी ड्यूटी से हटा दिया गया है और उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।’
– डा. शैली मेहरोत्रा, सीएमएस