महंगाई में पिछले चार माह से आ रही गिरावट पर जून माह में ब्रेक लग गया। खाने-पीने की चीजें खासकर सब्जियों की कीमतों में आए जोरदार उछाल से जून में महंगाई दर बढ़कर 4.86 फीसदी पर पहुंच गई।
प्याज के दाम सबसे अधिक 114 फीसदी बढ़ गए। इस साल मई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 4.70 फीसदी पर थी, जबकि जून 2012 में यह आंकड़ा 7.58 फीसदी था।
महंगाई बढ़ने से रिजर्व बैंक की चिंताएं बढ़ सकती हैं और उसके लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है। रिजर्व बैंक 30 जुलाई को पहली तिमाही की मौद्रिक समीक्षा पेश करने वाला है।
सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई प्याज, अनाज और चावल की कीमतों में उछाल से बढ़कर 9.74 फीसदी हो गई। जबकि मई में यह 8.25 फीसदी थी।
जून में प्याज के दाम 114 फीसदी बढ़ गए जबकि इससे पिछले माह दाम 97.40 फीसदी बढ़े थे। सब्जियों की कीमतों में 16.47 फीसदी की तेजी आई। मई में सब्जियों की महंगाई दर 4.85 फीसदी थी। फल और सब्जियों की कीमत में बढ़ोतरी मुख्य रूप से बारिश की वजह से हुए नुकसान को माना जा रहा है।
जून माह में अंडा, मछली और मांस 12.23 फीसदी महंगे हुए। अनाज और चावल के दाम क्रमश: 17.18 और 19.11 फीसदी बढ़ गए। हालांकि, दालों की कीमत में नरमी देखी गई।
थोक मूल्य सूचकांक में दो-तिहाई से अधिक का भारांक रखने वाले मैन्यूफैक्चरिंग वर्ग की महंगाई दर जून में घटकर 2.75 फीसदी रह गई। मई में यह 3.11 फीसदी थी।
ईंधन और ऊर्जा वर्ग की महंगाई मई के 7.32 फीसदी की तुलना में जून में घटकर 7.12 फीसदी रह गई। गैर खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जून में बढ़कर 7.57 फीसदी हो गई। मई में यह 4.88 फीसदी थी।
महंगाई दर में फिर से बढ़ोतरी रिजर्व बैंक के लिए चिंता का विषय बन सकती है। रिजर्व बैंक लगातार महंगाई को लेकर सतर्क करता आ रहा है।
आरबीआई 30 जुलाई को चालू वित्त वर्ष के लिए पहली तिमाही की कर्ज एवं मौद्रिक समीक्षा पेश करेगा। देश की अर्थव्यवस्था के 2012-13 में पिछले एक दशक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाने से चिंतित उद्योग जगत ब्याज दरों में कमी के लिए लगातार मांग करता आ रहा है।