सलमान खान के खिलाफ लिखे गए ब्लॉग पर माफीनामा क्यों?

नई दिल्ली।। मुंबई हिट ऐंड रन केस पर ब्लॉग लिखने वाले एक शख्स को सलमान खान की ओर से फोन कर पोस्ट हटाने के लिए मजबूर किया गया। सलमान की ओर से ब्लॉगर पर दबाव बनाए जाने के बाद न सिर्फ ब्लॉग से पोस्ट को डिलीट किया गया, बल्कि उसने अपने ब्लॉग पर एक माफीनामा भी पब्लिश किया।

हिट ऐंड रन केस पर ब्लॉग लिखने वाले शख्स का नाम सौम्यदीप बनर्जी है। सौम्यदीप ने सलमान खान के खिलाफ चल रहे हिट ऐंड रन केस, मामले के चश्मदीद और गवाह कॉन्स्टेबल रवींद्र पाटील और उनकी मौत (जो एक न्यूज चैनल पर भी दिखाया गया था) के बारे में लिखा था। ब्लॉगर को सलमान की ओर से ब्लॉग पोस्ट हटाने के लिए कहा गया। इसके बाद सौम्यदीप ने अपने ब्लॉग से हिट ऐंड रन केस पर लिखा गया पोस्ट हटा दिया और साथ ही इस पर माफी भी मांगी। उनकी ओर से कहा गया कि पिछले कुछ दिन उनके लिए काफी कष्टप्रद रहे और वह कुछ वक्त के लिए ब्लॉगिंग से ब्रेक ले रहे हैं।

हालांकि, सौम्यदीप ने यह साफ नहीं किया कि हकीकत लिखने के बावजूद उन्होंने सलमान की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद पोस्ट क्यों हटा दिया। पूरी तरह से यह कह पाना भी मुमकिन नहीं कि इस कहानी में कितनी सचाई है लेकिन सौम्यदीप के माफीनामे से समझा जा सकता है कि सलमान ब्लॉग पर लिखी गई स्टोरी से खुश नहीं थे और उसे सही करवाने के बजाय (अगर गलत है) हटवाना चाहते थे।

सौम्यजीत ने अपने ब्लॉग में (जिसे हटा दिया गया) हिट ऐंड रन केस के चश्मदीद कॉन्स्टेबल रवींद्र पाटील की मौत के हर पहलू को समझाने की कोशिश की। उन्होंने लिखा कि पाटील पर कोर्ट में उनका बयान बदलने के लिए दबाव बनाया गया। सौम्यजीत ने लिखा, कुछ लोग कहते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री से सलमान के कुछ दोस्तों ने रवींद्र पाटील पर शराब के नशे में ऐक्सिडेंट के बारे में न बोलकर मानवीय भूल के तहत हादसे का बयान देने के लिए प्रेशर डाला।

2006 में सलमान ने केस के लिए अनुभवी वकील को चुना। जिसके बाद डिफेंस के चुभते सवालों से पाटील परेशान होने लगे और वह कोर्ट की कार्यवाही से बचते दिखाई दिए। उन्होंने अदालत जाना भी छोड़ दिया। जज ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी कर दिया और उन्हें सबसे खूंखार अपराधियों के बीच आर्थर रोड जेल भेज दिया गया। उन्हें पुलिस की नौकरी से भी निकाल दिया गया। इन सब के साथ पाटील टूट चुके थे और लेकिन कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं था।

जेल से छूटने के बाद भी पाटील मुश्किल दौर से गुजर रहे थे। परिवार ने उन्हें ठुकरा दिया था और मुंबई पुलिस भी उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी। इन सबके बीच पाटील एक बार फिर गायब हो गए और काफी समय बाद सड़कों पर भीख मांगते पाए गए। शराब की लत से उनका शरीर खोखला हो चुका था। उन्हें म्यूनिसिपल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनके परिवार को भी उनके बारे में कुछ पता नहीं था। यहां तक कि उनकी मौत के बाद भी उनका शव लेने के लिए परिवारवाले तैयार नहीं थे।

सौम्यदीप ने लिखा कि पाटील यह नहीं समझ पा रहे थे कि अचानक वह चश्मदीद से विक्टिम कैसे हो गए? क्या केस का चश्मदीद होना उनका सबसे बड़ा गुनाह था?