यूपी सचिवालय को-ऑपरेटिव बैंक की आयकर जांच के बाद नित नए फर्जीवाड़े का खुलासा हो रहा है। राजनेता एवं अफसरों की काली कमाई के एफडी के रूप में निवेश के बाद अब ऋण देने में एक और फर्जीवाड़े की बात कही जा रही है।
बैंक को दी 10 दिन की मोहलत
आयकर टीम की जांच में जो फर्जीवाड़ा पाया गया है उसकी रिपोर्ट शासन में लंबित है। आयकर विभाग ने सचिवालय को-ऑपरेटिव बैंक को नोटिस का जवाब देने के लिए दस दिन की मोहलत दी है। गौरतलब है, आयकर अफसरों की टीम ने 28 जून को डिप्टी कमिश्नर हरीशचंद्रा के नेतृत्व में उप्र सचिवालय को-ऑपरेटिव बैंक में जांच की थी।
जालसाजी में नेता और अफसर भी
टीम ने निवेश एवं लेन-देन के संबंध में उन दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया था जो गड़बड़ घोटाले के साक्ष्य थे। इस जांच में राजनेताओं एवं अफसरों द्वारा एक-एक नाम से लाखों रुपये की एफडी पाई गई। आयकर टीम ने दस्तावेजों की जांच की तो पाया कि बहुत से लोगों को सचिवालय कर्मचारी बताकर लाखों रुपये के ऋण दिए गए।
बनाए फर्जी दस्तावेज
जबकि हकीकत में वे सचिवालय कर्मी नहीं थे। ऐसे कर्मियों ने नगर निगम से लेकर कई अन्य विभागों से फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। सूत्र बताते हैं कि इस प्रकरण की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर चुकी है जिसकी रिपोर्ट 7 दिसंबर 12 को शासन को सौंपी जा चुकी है लेकिन इस प्रकरण में अब तक फर्जीवाड़े का ताना-बाना बुनने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
इस संबंध में बैंक के चेयरमैन लल्लू सिंह ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे फर्जीवाड़े का खुलासा नहीं हुआ है। उन्होंने बुधवार को इस प्रकरण पर सचिव से जानकारी हासिल करने की बात कही।