जेल से चुनाव लड़ने पर सपा और बसपा साथ-साथ

maya-mulayam-50b641067e69b_lजेल से दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के मुद्दे पर सपा और बसपा एक मंच पर खड़ी दिख रही है।

दरअसल, दोनों पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ झंडा बुलंद करते हुए केंद्र सरकार पर सियासी दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

दोनों दल आगामी मानसून सत्र में ही इस मसले पर सरकार पर कोर्ट के फैसले को बदलने का दबाव बना रहे हैं।

सपा और बसपा के रुख को देखते हुए पांच अगस्त से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में यह मामला तूल पकड़ सकता है।

सपा तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में मामला उठाने की तैयारी में है, जबकि बसपा इस सिलसिले में केंद्र सरकार से संपर्क में है। दरअसल, कोर्ट के फैसले का सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश के जन प्रतिनिधियों पर पड़ रहा है। वहीं सपा और बसपा के सांसद और विधायक ही इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

लिहाजा दोनों पार्टियों ने खुलकर इसके खिलाफ ताल ठोकने का मन बना लिया है। भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप है। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। पार्टी इस सिलसिले में केंद्र सरकार से बात करेगी।

सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि कोर्ट के फैसले का नाजायज फायदा उठाया जा सकता है। कोई भी सत्तारूढ़ दल अपने राजनीतिक विरोधियों को निपटाने के लिए इस फैसले का गलत फायदा उठा सकता है। इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कहा है कि केंद्र सरकार को इस फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए। उन्होंने भी दुरुपयोग की बात कही।