उत्तराखंड में तबाही से चीन सीमा पर सेना को झटका

uttarakhand-disaster-51ce91c3e86eb_lउत्तराखंड की आपदा से चीन सीमा से सटे जिलों में भारतीय सेना को तगड़ा झटका लगा है।

350 किलोमीटर में फैले बॉर्डर को जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें जगह-जगह से बह गई हैं, जबकि निर्माणाधीन सड़क परियोजनाओं का लक्ष्य अगले छह वर्ष तक पूरा करना संभव नहीं रहा।

इससे सीमा पर सैन्य विस्तारीकरण की योजनाएं और राज्य में स्वतंत्र माउंटेन ब्रिगेड स्थापित करने की तैयारियां कई साल पीछे चली गई हैं।

चीन सीमा पर सैन्य संरचना मजबूत करने के लिए सेना लद्दाख से लेकर उत्तराखंड और सिक्किम के लिए एक माउंटेन स्ट्राइक कोर स्थापित करना चाहती है। इस परियोजना में उत्तराखंड एक अहम कड़ी है, जिसमें एक स्वतंत्र माउंटेन ब्रिगेड तैनात की जानी है।

इसके लिए सेना ने राज्य के पर्वतीय जनपदों में भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है। जिसमें सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 2018 तक 48 सड़कों के निर्माण का लक्ष्य दिया गया है।

गंगोत्री और नंदा देवी में सेना तोपखाने के अभ्यास के लिए फील्ड फायरिंग रेंज बनाना चाहती है, लेकिन उस क्षेत्र में भारी बारिश से सारे संपर्क मार्ग टूट गए हैं। सेना ने 67 जगहों पर हेलीपैड बनाने का भी प्रस्ताव दिया है।

इसके अलावा अन्य विभिन्न सैन्य परियोजनाओं के लिए 20 हजार एकड़ भूमि की जरूरत है। सेना खुद मान रही है कि भारी बारिश ने जोशीमठ से लेकर नीती व माणा पास तथा उत्तरकाशी में गंगोत्री तक सड़कों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

टूट गया सड़क नेटवर्क
सीमा सड़क संगठन के प्रोजेक्ट शिवालिक के तहत हर्षिल और जोशीमठ में दो टास्क फोर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। प्रोजेक्ट हीरक के तहत चंपावत और टनकपुर में निर्माणाधीन सड़के प्रभावित हुई हैं।

मलारी से बाड़ाहोती, माणा गांव से माणा पास, भैरों घाटी से नागा सोनम कुमाला होते हुए टी चोकला निर्माणाधीन सड़कें प्रभावित हुई हैं, जबकि माणा पास पर 56 किलोमीटर सड़क को भारी क्षति पहुंची। धारचूला में चीन सीमा लिपुलेक तक निर्माणाधीन 65 किलोमीटर सड़क मार्ग को नुकसान हुआ है।

गुंजी से कुट्टी तक 18 किलोमीटर सड़क बनी है, लेकिन मुनस्यारी से मिलम के बीच 65 किलोमीटर सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं धरासु से गंगोत्री तक 10 जगह से सड़क टूटी है।

क्या है लक्ष्य
चीन और नेपाल सीमा पर सैन्य आवाजाही बेहतर बनाने के लिए अगले छह वर्ष में बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को उत्तराखंड में 45 सड़क मार्गों का निर्माण करने का जिम्मा सौंपा गया है।

राज्य में दो राष्ट्रीय राजमार्ग भी बीआरओ के अधीन है। बीआरओ को औसतन एक वर्ष में 8 सड़कें सीमा के समीप निर्मित करना है और अगले 6 वर्ष में सीमा पर 710 किलोमीटर लंबा सड़कों का जाल तैयार करना है।

राज्य में सेना की मौजूदगी
– तीन सैन्य रेजिमेंट सेंटर हैं राज्य में।
– एक आर्टिलरी और इनफैंट्री ब्रिगेड भी।
– एक फील्ड और दो छोटे फायरिंग रेंज।
– पांच सीमांत जिलों में सैन्य बटालियनें।

यह है विस्तार योजना
– उत्तरकाशी में एक स्वतंत्र इनफैंट्री ब्रिगेड की स्थापना।
– हवाई मदद के लिए 67 हेलीपैड और हवाई पट्टी बनाना।
– नैनीसैणी में वायुसेना और सेना के लिए उड़ान सुविधा।
– आर्टिलरी को मजबूत करने के लिए फायरिंग रेंज निर्माण।
– लेह से लेकर उत्तराखंड को जोड़ने वाला मार्ग बनाना।
– सीमा पर हवाई निगरानी के लिए यूएवी दस्ते की तैनाती।
– सेना को कई प्रोजेक्ट के लिए 23,216 एकड़ भूमि की जरूरत।

वर्ष—निर्माण लक्ष्य
2013—7 सड़कें
2014—6 सड़कें
2015—3 सड़कें
2016—9 सड़कें
2017—1 सड़क
2018—8 सड़कें