नई दिल्ली।। करीब 17 सालों से राम मंदिर आंदोलन को ठंडे बस्ते में रखने वाली बीजेपी 2014 लोकसभा चुनावों में भगवान राम को भुनाने के मूड में दिख रही है। इसका संकेत यूपी बीजेपी के प्रभारी और नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह ने अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद अपने बयान के जरिए दे दिया है। शाह ने कहा कि उन्होंने रामलला से कांग्रेस मुक्त देश का आशीर्वाद मांगा है ताकि सुशासन आ सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने यह भी प्रार्थना की है कि जल्द रामलला का भव्य मंदिर बना सकें।
पार्टी के अवध क्षेत्र के नेताओं की बैठक के लिए शनिवार को अमित शाह अयोध्या पहुंचे और सबसे पहले रामलला के दर्शन के लिए गए। रामलला के दर्शन के बाद उन्होंने अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी का भी दर्शन किया। शाह ने संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी हिन्दुत्व के एजेंडे पर पहले की तरह कायम है। हालांकि, इस मौके पर पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर भी अमित शाह ने इशरत जहां एनकाउंटर के मुद्दे पर कुछ नहीं बोला।
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी धारा-370 के मुद्दे को उठाया था। सूत्रों की मानें तो जेडी(यू) से दोस्ती टूटने के बाद बीजेपी ने अगले लोकसभा चुनाव में अपने मूल अजेंडे पर वापस आने का मन बना लिया है।
बीजेपी की बैठक उसी कारसेवकपुरम में चल रही है, जो कभी श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र रहा था। सूत्रों की मानें तो पार्टी की मंशा बैठक के बहाने ही अयोध्या सहित पूरे कारसेवकपुरम को चर्चा में लाने की है, ताकि देश भर के हिंदुओं के बीच एक संदेश जा सके कि बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे पर किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं है। लंबे समय से अवध क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक लखनऊ में होती रही है, जबकि इस बार यह बैठक अयोध्या में हो रही है।
अवध क्षेत्र में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं, जिनमें से सिर्फ 6 सीटें ही बीजेपी के पास हैं। इसके अलावा, लोकसभा की 16 सीटों में से बीजेपी सिर्फ लखनऊ सीट पर ही काबिज है। अवध क्षेत्र से बीजेपी के राज्यसभा के 2 सांसद कुसुम राय और विनय कटियार भी हैं। कुल मिलाकर, बीजेपी की इस क्षेत्र में स्थिति काफी दयनीय है। इस बैठक में अवध क्षेत्र के 14 जिलों के करीब 150 नेता शामिल हो रहे हैं।