भाजपा में उठा ‘हाई डेसिबल’ का भूकंप तीस घंटे के बाद शांत भले हो गया हो पर इसकी तीव्रता ने उसकी चूलें हिला दी हैं।
पार्टी की छवि को तो नुकसान हुआ ही, उसके नेतृत्व में बने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में भी दरारें आ गईं।
दरअसल राजग के घटक दलों ने तीसरी मोर्चे की बात करनी शुरू कर दी है। उसके साथी जनता दल (युनाइटेड) ने साफ कहा कि आडवाणी के बगैर भाजपा के साथ रहना मुश्किल है।
ऐसी स्थिति में वह अपने रिश्तों की समीक्षा करेगा। जदयू ने मंगलवार को कहा कि राजग वेंटिलेटर के सहारे है और उसे आडवाणी से ऑक्सीजन की जरूरत है।
जद (यू) नेता केसी त्यागी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी बीमार हैं और अगर आडवाणी भी चले गए तो हमें नहीं पता कि हम किसकी तरफ देखें।
मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाए जाने की घोषणा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि शक्ति आडवाणी से कहीं और चली गई है।
त्यागी ने ओडिशा को विशेष राज्य के दर्जे के लिए दिल्ली में होने वाली बीजू जनता दल (बीजद) की रैली का समर्थन करके नए राजनीतिक समीकरण के संकेत भी दे दिए।
उन्होंने कहा कि जदूय, बीजद और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए।
मालूम हो कि टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को तीसरे मोर्चे की संभावनाएं तलाशने की अपील की थी।
इसकी संभावना तब और बढ़ जाती है जबकि जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मोदी विरोध जग जाहिर है।
भाजपा में नरेंद्र मोदी का रुतबा बढ़ने के बीच ‘इस्तीफा एपीसोड’ से जदयू को भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया।
पार्टी के राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने गठबंधन छोड़ने के संकेत देते हुए कहा कि पार्टी की जल्द ही बैठक होगी और एनडीए को लेकर फैसला हो जाएगा।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी कहा कि स्थितियां बहुत सुखद नहीं हैं और गठबंधन में बने रहना मुश्किल हैं।
इससे पहले जदयू प्रमुख शरद यादव और नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि गठबंधन के मसले पर जदयू की बैठक जल्द होगी।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने भी कहा था कि अभी यह हाल है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तब क्या होगा?
हमारा मत है कि राजग के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए जिसकी छवि साफ और प्रगतिशील हो। हम धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
– केसी त्यागी, जदयू सचिव