उत्तराखंड में बारिश ने पिछले 24 घंटे में भारी तबाही मचाई है। रामबाड़ा में बादल फटने से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।
इस तबाही में अब तक 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
रामबाड़ा में 13, विकास नगर में 4, गौरीकुंड में 2, धनौल्टी में 1, देहरादून में 3, हर्षिल में 1, चमोली में 1, पाताल गंगा में 1 और अन्य स्थानों से 3 लोगों के मरने की खबर है।
इसके अलावा हजारों लोगों के प्राकृतिक आपदा में फंसने की भी खबर है। इनमें बदरीनाथ में 10 हजार, गोविंदघाट में 10 हजार, घांघरिया में 6 हजार, उत्तरकाशी में 5 हजार और जोशीमठ में 1 हजार लोग फंसे हैं।
एहतियात के तौर पर प्रशासन ने चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जा रहे डेढ़ सौ वाहनों को ऋषिकेश से वापस लौटा दिया है। रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में हालात बेकाबू हैं।
रुद्रप्रयाग में रामबाड़ा के पास मंदाकिनी नदी में आए उफान में कुछ लोगों के बहने की सूचना है। नदी का पानी बाजार (रामबाड़ा) में घुस आया है।
बताया जा रहा है कि बाढ़ में कुछ जवान भी फंस गए, जो पास की पहाड़ी पर चढ़ गए। कुछ लोगों ने उफान में बहने वालों की संख्या 40-50 बताई है। हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
भूस्खलन और मलबा आने से गढ़वाल में चारधाम यात्रा मार्ग समेत कई सड़कें बंद हो गईं। इससे हजारों यात्री जगह-जगह फंस गए हैं। क्रिकेटर हरभजन सिंह भी जोशीमठ में फंस गए थे। उन्हें वहां से निकाल लिया गया है।
चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा रोकी
मार्ग बंद होने और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा रोक दी गई। तीर्थयात्रियों से सुरक्षित स्थानों पर रुकने की अपील की गई है। फंसे यात्रियों को निकालने की कोशिश की जा रही है।
आईटीबीपी की दो टीमें गौरीकुंड और केदारनाथ में यात्रियों की मदद कर रही है। भारी बारिश से सभी नदी-नाले उफन गए हैं। नदियों के बढ़ते जलस्तर ने किनारे रह रहे लोगों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। नदी किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है।
खासकर उत्तरकाशी में गंगा भागीरथी, असी गंगा समेत जिले के तमाम गाड गदेरों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। मौसम विभाग के मुताबिक जून माह में 24 घंटे में देहरादून में इतनी बारिश पिछले 88 साल में कभी नहीं हुई थी।