राजनीतिक दलों के खिलाफ सूचना का अधिकार (आरटीआई) को बड़ा हथियार बनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसका पहला शिकार मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हुई है।
एक पूर्व कर्मचारी ने आरटीआई के तहत पार्टी की गोवा इकाई से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में होने वाले खर्च के साथ ही खनन कंपनियों से पार्टी को मिले चंदे का ब्यौरा मांगा है।
हालांकि पार्टी ने अभी साफ नहीं किया है कि वह आरटीआई के तहत मांगा गया ब्यौरा मुहैया कराएगी या नहीं। वैसे भी सभी राष्ट्रीय दलों ने एक सुर से खुद को आरटीआई के दायरे में रखने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले का विरोध किया है।
माना जा रहा है कि आरटीआई कानून के तहत राजनीतिक दलों से इस तरह की जानकारियां हासिल करने की होड़ मच सकती है।
राजनीतिक दलों के खिलाफ आरटीआई का इस्तेमाल करने वाले गोवा के काशीनाथ शेट्टी हैं। राज्य सरकार के पूर्व कर्मचारी ने राजनीतिक दलों के खिलाफ पहली बार आरटीआई कानून का उपयोग करते हुए अपने यहां आयोजित हो रहे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में होने वाले खर्च का ब्यौरा मांगा है।
इसके साथ ही शेट्टी ने भाजपा से खनन कंपनियों द्वारा मुहैया कराए गए चंदे की रकम के बारे में जानकारी मांगी है। शेट्टी जल्द ही अन्य दलों से भी इस आशय की सूचना मांगने के लिए इस कानून का इस्तेमाल करेंगे।
फिलहाल भाजपा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी मुहैया कराने के मसले पर चुप है। पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि सीआईसी ने हमें छह महीने का समय दिया है।
फिर सीआईसी के फैसले पर अभी सरकार को अपना रुख साफ करना है। ऐसे में जब तक सरकार अपना रुख साफ नहीं करती तब तक पार्टी आरटीआई आवेदनों का कोई जवाब नहीं देगी।