नई दिल्ली।। दिल्ली की ओर नरेंद्र मोदी के बढ़ते कदम को रोकने के लिए सारे दांव बेकार जाने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें पार्टी कैंपेन कमिटी के चेयरमैन बनाने के लिए स्वीकृति दे दी है। बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में आडवाणी ने प्रचार की कमान मोदी को सौंपने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। बताया जा रहा है कि अब राजनाथ सिंह कभी भी मोदी के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
इस साल के अंत में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली बीजेपी की दृष्टि से काफी अहम हैं। इसके अलावा इन विधानसभा चुनावों को आम चुनाव का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। इसी वजह से इस बात की प्रबल संभावना है कि 8 और 9 जून को गोवा में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी को जिम्मेदारी सौंपने का भारी दबाव पड़ सकता है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एजेंडे और पारित होने वाले प्रस्तावों को लेकर राजनाथ ने पिछले सप्ताह के अंत में आडवाणी से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान मोदी के मसले पर भी दोनों नेताओं में चर्चा हुई। सूत्र का कहना है कि आडवाणी ने कहा कि उन्हें मोदी के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते घोषणा होने से पहले संसदीय बोर्ड के दूसरे सदस्यों से इस पर चर्चा कर ली जाए।
हालांकि, आडवाणी ने सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली के विधानसभा चुनावों के प्रबंधन के लिए किसी और के नेतृत्व में इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी बनाई जानी चाहिए। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि आडवाणी ने कहा कि कैंपेन कमिटी के साथ-साथ इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी की भी घोषणा कर दी जाए। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह अलग इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी के सुझाव को बहुत तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
कभी आडवाणी, मोदी पर होने वाले हर हमले पर उनकी ढाल बन जाते थे। दौर बदला और मोदी उनके प्रभाव क्षेत्र से निकल कर खुद बीजेपी की सियासत में आधार स्तम्भ बन गए। इसलिए जब पिछले दिनों आडवाणी ने खुद ही मोदी पर हमले की कमान संभाली तो पूरी पार्टी उनके सामने चट्टान की तरह खड़ी हो गई है। आडवाणी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी से बेहतर बताया, तो शिवराज ने तुरंत ही इसे नकार दिया। इसके बाद नितिन गडकरी ने भी मोदी का कद छोटा करने के लिए खुद का इस्तेमाल होने से मना कर दिया।
आडवाणी ने नितिन गडकरी को कैंपेन कमिची का प्रस्ताव देकर एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी रहे गडकरी को दोबारा अध्यक्ष आडवाणी ने ही नहीं बनने दिया था। अब कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष गडकरी को बनाने का प्रस्ताव देकर उन्होंने पूर्व बीजेपी अध्यक्ष और संघ से भी अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश की। हालांकि, गडकरी ने मोदी को रोकने के आडवाणी के दांव में मोहरा बनने से बचते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अध्यक्ष रहते ही गडकरी अपने कार्याकाल के अंत में तय कर चुके थे कि कैंपेन कमिटी की कमान नरेंद्र मोदी को सौंपी जाएगी।