नरेंद्र मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के चेहरे के तौर पर पेश करने की योजना को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी खेमा पंचर करने में जुट गया है। खुद आडवाणी शुक्रवार को गोवा नहीं पहुंचे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले ही आडवाणी समेत उनके खेमे के कई वरिष्ठ नेता अचानक ‘बीमार’ हो गए हैं।
मोदी के नाम पर उन्हें बुखार चढ़ने लगा है, जिसे मीडिया में निमोनिया की तर्ज पर ‘नमो-निया’ नाम दिया जा रहा है।
दिल्ली तख्त के लिए चुनावी रणभेरी बजने से पहले ही भाजपा की अंदरूनी खींचतान भी खुलकर सामने आ गई है और मोदी के सवाल पर पार्टी दो खेमों में बंटती दिखाई दे रही है।
आडवाणी शनिवार को भी गोवा जाएंगे या नहीं, इस पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है।
आडवाणी की इस ‘बीमारी’ को मोदी की राह रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि मोदी समर्थक अब आडवाणी के सामने झुकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह समेत पार्टी का बड़ा वर्ग मोदी के साथ खड़ा है और उन्हें हर हालत में चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपने के पक्ष में है।
इसलिए अब आगामी दो दिनों में भाजपा का यह विवाद और तेज होने की आशंका है।
राजनाथ ने दलील दी कि आडवाणी बीमार हैं और उन्होंने ही आराम करने की सलाह दी थी। राजनाथ के मुताबिक आडवाणी शनिवार को गोवा में होंगे।
मगर दिल्ली स्थित पार्टी सूत्रों का कहना है कि आडवाणी गोवा जाएंगे या नहीं, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।
कहा जा रहा है कि ‘बीमार’ आडवाणी को चिकित्सकों ने यात्रा न करने और दिल्ली में ही कुछ दिनों तक आराम करने की सलाह दी है।
मामला अकेला आडवाणी तक सीमित नहीं है। मोदी के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज भी नाराज बताई जा रही हैं। वे तय समय पर गोवा तो पहुंच गई थीं, लेकिन अपने कमरे में डटी रहीं।
इससे विस्तारित संसदीय बोर्ड की बैठक तय समय से लगभग डेढ़ घंटे देर से शुरू हो पाई। सूत्रों के मुताबिक सुषमा ने वरिष्ठ नेताओं से कहा कि आडवाणी को मनाया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी को चुनाव अभियान समिति का जिम्मा देने की घोषणा हर हाल में आडवाणी की उपस्थिति में हो।
सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू भी आडवाणी की गैर मौजूदगी में इस आशय की घोषणा रुकवाए जाने के पक्ष में हैं। वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह और उमा भारती पहले से ही ‘बीमार’ हैं।
रविशंकर प्रसाद और महासचिव वरुण गांधी विदेश यात्रा पर हैं। जबकि शत्रुघ्न सिन्हा भी ‘बीमार’ बताए गए हैं। ये सभी नेता आडवाणी खेेमे के हैं।
संभवत: यह पहला मौका है जब आडवाणी कार्यकारिणी की बैठक से पहले होने वाली पदाधिकारियों की बैठक में शरीक नहीं हुए। शुक्रवार को पार्टी की विस्तारित संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। इसमें कार्यकारिणी की शनिवार और रविवार की बैठक का एजेंडा तय किया गया।
क्या चाहते हैं आडवाणी
सूत्रों के मुताबिक आडवाणी को मोदी को पार्टी के चेहरे के तौर पर पेश करने के मामले में कुछ आपत्तियां हैं। वे विधानसभा चुनाव के लिए अलग अभियान समिति बनाने के पक्ष में हैं।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आडवाणी रविवार तक गोवा में रहेंगे कि नहीं। क्योंकि लंबे समय से आडवाणी ही इस तरह के सम्मेलनों का समापन करते रहे हैं।
सफाई देते रहे भाजपा नेता
लालकृष्ण आडवाणी की गोवा में गैर मौजूदगी पर तमाम भाजपा नेता दिनभर सफाई देते रहे।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने ही आडवाणी को आराम करने की सलाह दी थी तो वेंकैया नायडू ने कहा कि आडवाणी बीमार हैं उनकी गैरमौजूदगी के ज्यादा मायने नहीं निकालें।
उन्होंने दावा किया कि आडवाणी शनिवार को गोवा पहुंचेंगे। वहीं पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पार्टी में मोदी गुट और आडवाणी गुट जैसी कोई बात नहीं है। ये सब मीडिया की अटकलबाजी है।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ठीक पहले भाजपा नेताओं की बीमारी की चुटकी लेते हुए कहा है कि भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के कारण बीमार पड़ गए हैं।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा है, ‘मोदी के कारण भाजपा के बुजूर्ग नेता बीमार पड़ गए हैं। भाजपा को सोचना चाहिए कि उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मदीवार बनाया तो देश का क्या होगा।’