आम चुनाव से पहले पीलीभीत में जहरीला भाषण देने के मामले में वरुण गांधी का अदालत से बरी हो जाना महज एक इतेफाक नहीं है।
इसके लिए न्यायिक प्रक्रिया को कैसे तोड़ा मरोड़ा गया है, तहलका और आजतक ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इसका खुलासा किया है।
तहलका ने स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया है कि वरुण गांधी ने न्यायिक प्रक्रिया को इस हद तक प्रभावित किया कि जहरीला भाषण देने के दो मामलों में सभी 88 गवाह अपने बयान से अदालत में मुकर गए।
किसी भी आपराधिक इतिहास में ये भी एक रिकार्ड हो सकता है। तहलका के छिपे हुए कैमरे में कई गवाहों ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें पैसे का लालच देकर बयान बदलवाया गया।
गवाहों के मुताबिक बयान बदलवाने में एसपी अमित वर्मा और दूसरे पुलिस वालों की अहम भूमिका रही है।
स्टिंग ऑपरेशन के मुताबिक एक मामले में तो सीधे वरुण गांधी के दफ्तर से धमकी भी दी गई। गवाहों ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे न्यायाधीश की गैर मौजूदगी में उनकी गवाही ली गई।
तहलका के मुताबिक वरुण गांधी पर मुकदमा दर्ज कराने में तत्कालीन डीएम महेंद्र अग्रवाल वादी थे। पीलीभीत के दर्जन भर से ज्यादा पुलिसकर्मी इस मामले में गवाह थे।
सुनवाई के दौरान अग्रवाल और जमीर आलम समेत सभी पुलिसकर्मी अदालत में अपने बयान से मुकर गए। सभी ने अदालत में अपने पहले बयान के उल्टा बयान दिए।
हैरानी की बात तो यह कि अग्रवाल मुकदमा लिखाने की बात से पलट गए तो जमीर आलम ने कह दिया कि उन्होंने वरुण की कोई सभा न देखी न सुनी।
इनके अलावा अन्य सभी गवाह भी अपनी बात से पलट गए और उनके पक्षद्रोही होने का लाभ वरुण को मिल गया।
पीलीभीत जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी अग्निहोत्री ने तहलका को बताया कि मैं कई सालों से पीलीभीत में वकालत कर रहा हूं।
मेरी नजर में आज तक एक भी मामला ऐसा नहीं आया है जब एक ही दिन में इतने लोगों की गवाही हो गई हो जितने लोग वरुण के मामलों में एक-एक दिन में आए।
इन मामलों में गवाह बनाए गए लोगों और खुद पीलीभीत जिले के भाजपा उपाध्यक्ष परमेश्वरी गंगवार ने तहलका को बताया कि किस तरह से पीलीभीत के वर्तमान एसपी अमित वर्मा, क्षेत्र से विधायक, यूपी सरकार में मंत्री रियाज अहमद और दूसरे पुलिस अधिकारियों ने गवाहों को धमकाया।
कम-से-कम एक गवाह के यहां स्वयं वरुण गांधी के यहां से गवाही बदलने के लिए फोन किया गया। स्टिंग में इन गवाहों ने जो सनसनीखेज सच उजागर किए उसके मुताबिक कोर्ट में न्यायिक प्रक्रियाओं का जमकर मखौल उड़ाया गया।
जज की नामौजूदगी में ही उन सबकी गवाहियां हो गईं उनके बयान खुद वकील ने लिखे और उनसे सिर्फ अंगूठा लगवाया गया या दस्तखत करवाए गए।
सवाल उठता है कि प्रदेश की सपा सरकार वरुण गांधी पर इतनी मेहरबान क्यों थी।
तहलका ने खुलासा किया कि 2012 के विधानसभा चुनाव में वरुण ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हराने और पीलीभीत से सपा के उम्मीदवार को रियाज जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वरुण गांधी ने पीलीभीत से अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी सतपाल गंगवार को चुनाव हराने के निर्देश दिए। रियाज ने इस बारे में पूछे जाने पर तहलका से कहा कि वरुण का बरी कराने में उनका हाथ नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक तो गवाह उनके लोग थे दूसरे उसने उनको सबको अपने पक्ष में कर लिया। किसी को 10 लाख रुपये दिए, किसी को पांच लाख दिए, किसी ने ग्यारह लाख लिया किसी ने बड़ी गाड़ी ली।