पवन कुमार बंसल ने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। बंसल ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है। माना जा रहा है कि बंसल की जगह मल्लिकार्जुन खड़गे को रेल मंत्रालय मिल सकता है।
इधर रेलवे घूसकांड सामने आने के पांच दिन बाद पहली बार पवन कुमार बंसल रेलवे मंत्रालय पहुंचे थे। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की।
इस्तीफे का बढ़ गया था दबाव
उल्लेखनीय है कि प्रमोशन के लिए 12 करोड़ की घूस के मामले में भांजे विजय सिंगला का नाम आने के बाद रेल मंत्री पवन कुमार बंसल पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया था।
बंसल ने हमेशा सिंगला के साथ किसी कारोबारी रिश्ते से इनकार किया था। सूत्रों के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव में सिंगला ने ही बंसल के वित्त प्रबंधन का काम संभाला था। बताया जाता है कि सिंगला का चंडीगढ़ में करोड़ों का कारोबार है।
सीबीआई को भी ऐसे सबूत मिले थे जिसमें रेल मंत्री के भांजे विजय सिंगला के उनके बेटे और भतीजे से कारोबारी रिश्ते की बात सामने आई थी। इनसे संबंधित दो कंपनियों के पते के रूप में रेल मंत्री के आवास का पता दर्ज है।
क्या था मामला
सीबीआई के मुताबिक महेश कुमार रेलवे बोर्ड के सदस्य नहीं बनना चाहते थे, बल्कि वह मेंबर इलेक्ट्रिकल का ज्यादा मलाईदार पद पाने की जुगत में लगे थे। इसके लिए वह विजय सिंगला के दोस्त संदीप गोयल को 10 करोड़ की रिश्वत देने को भी तैयार हो गए थे।
महेश कुमार वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक का अतिरिक्त प्रभार भी चाहते थे, इसके लिए दो करोड़ रुपये की डील हुई। इस तरह यह पूरी डील 12 करोड़ की थी।
गोयल ने महेश को बताया था कि मेंबर इलेक्ट्रिकल का पद जून में खाली होगा। गोयल ने नियुक्ति दिलाने के लिए कुमार से पांच करोड़ पहले और पांच करोड़ नियुक्ति के बाद देने को कहा, जिस पर वह राजी हो गए।
500 फोन कॉल खंगाल रही सीबीआई
रेल घूसकांड में दो महीनों की सर्विलांस में इंटरसेप्ट की गईं करीब 1000 फोन कॉल में से अब सीबीआई 500 कॉलों को गहन तरीके से खंगाल रही है। जांच एजेंसी के मुताबिक ये कॉल खास तौर पर रेल मंत्री के भांजे विजय सिंगला, रेलवे बोर्ड के निलंबित सदस्य महेश कुमार और बिचौलियों मंजूनाथ और संदीप गोयल के बीच हुईं।
हवाला के जरिए आई रिश्वत की रकम
सीबीआई जांच के मुताबिक रेल घूसकांड में रिश्वत की पहली किस्त में दी गई 90 लाख रुपये की रकम हवाला के जरिए बंगलूरू से चंडीगढ़ पहुंची थी। मंजूनाथ ने दिल्ली में अपने संपर्कों के जरिए इस रकम का इंतजाम कराया था। इसे सिंगला के पास चंडीगढ़ पहुंचवाया था।
बंसल और महेश कुमार कई बार मिले
सीबीआई के मुताबिक 3 मई से पहले महेश कुमार और पवन बंसल की कम से कम चार मुलाकातें हुई थीं। इनमें एक मुलाकात 16 अप्रैल को हुई थी। सिंगला और महेश कुमार की जान पहचान भी बंसल ने ही कराई थी।
पवन बंसल के रिश्तेदारों की कंपनियों की भी जांच होनी चाहिए। बंसल के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से पिछले पांच सालों में इन कंपनियों की कमाई में अंधाधुंध इजाफा हुआ है। जांच होनी चाहिए कि कहीं ये कंपनियां काले धन को सफेद बनाने में तो नहीं लगी हैं।–सत्यपाल जैन, भाजपा नेता
अश्वनी कुमार पर नहीं गिरेगी गाज
वहीं कानून मंत्री अश्वनी कुमार की किस्मत पर फैसला शनिवार को होने वाली कांग्रेस हाईकमान की बैठक में लिया जा सकता है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भाग लेंगे।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अश्वनी कुमार को बचा सकती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस बात से सहमत हैं। अत: मंत्रिमंडल फेरबदल करके कानून मंत्री को कोई अन्य विभाग सौंपा जा सकता है।