नई दिल्ली।। कई दिनों की मशक्कत के बाद आखिरकार भारत और चीन के बीच लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चल रहे तनाव को दूर करने में रविवार को उस वक्त सफलता मिली जब चीन यहां से अपनी सेनाएं हटाने को तैयार हो गया। भारत और चीन की सेनाएं इस फेस ऑफ पॉइंट से एक साथ पीछे हटने को राजी हो गई हैं।
दोनों तरफ से रविवार को राजनयिक स्तर पर हुई कड़ी बातचीत के बाद यह समझौता हुआ है। सूत्रों के मुताबिक दौलत बेग सेक्टर से भारतीय और चीनी सेनाएं रविवार शाम साढ़े सात बजे हट गईं। पीछे हटने से पहले भारतीय और चीनी सेनाओं के स्थानीय स्तर के कमांडरों ने हाथ भी मिलाए। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि चीनी सेनाएं वापस उसी जगह चली गई हैं, जहां वे 15 अप्रैल से पहले थीं।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख स्थित देपसांग घाटी में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास 15 अप्रैल को चौकी स्थापित करने के बाद से चीन कड़ा रुख जारी रखते हुए अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाने पर अड़ा था। चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने भारतीय सीमा के भीतर 19 किलोमीटर तक घुसपैठ कर ली थी। इन सैनिकों की संख्या करीब 50 थी जिनके साथ गाड़ियां और खूंखार कुत्ते भी थे। चीन ने यहां पांच टेंट भी गाड़ लिए थे। भारतीय सेना ने भी चीनी टेंटों से 300 मीटर दूर चौकी स्थापित कर ली थी। मसले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कई फ्लैग मीटिंग हो चुकी थीं। शनिवार को हुई चौथी फ्लैग मीटिंग भी बेनतीजा रही थी।
लगातार चल रहे इस तनाव की वजह से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का 9 मई को तय चीन का दौरा खटाई में पड़ता दिख रहा था। खुर्शीद 20 मई से प्रस्तावित चीन के नए प्रधानमंत्री के भारत दौरे के मद्देनजर वहां जा रहे हैं। खुर्शीद ने 3 मई को ईरान जाते वक्त कहा था कि चीन से चल रहा विवाद खत्म करने को चल रही बातचीत में कुछ ठोस नहीं निकल पाया है।
इस मामले में चीन लगातार यह कहता आ रहा था कि वह अपनी सीमा में ही है और उसने भारतीय इलाके में जरा भी घुसपैठ नहीं की है। बल्कि उसने भारत को ही नसीहत दे डाली थी कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अब तक जो समझौते हुए हैं, वह उनका सम्मान करे। राजनयिक सूत्रों के मुताबिक चीन लद्दाख के पूर्वी इलाके में पिछले कुछ वर्षों में भारत की ओर से बनाई गई कुछ नई ढांचागत सुविधाओं और अग्रिम चौकियों को हटाने की मांग कर रहा है।