कर्नाटक विधानसभा चुनाव में करारी हार के साथ ही दक्षिण भारत में भाजपा का एकमात्र किला भी ध्वस्त हो गया।
इस शिकस्त के लिए पार्टी का एक बड़ा वर्ग वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की उस थ्योरी को जिम्मेदार ठहरा रहा है, जिसके तहत कर्नाटक में पार्टी के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता बीएस येदियुरप्पा को बाहर का रास्ता पकड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और पार्टी टूट गई। इससे पार्टी प्रदेश में 20 साल पीछे चली गई।
यही नहीं, प्रदेश का सबसे ताकतवर लिंगायत समुदाय भी पार्टी से नाराज हो गया। यह सब इसलिए हुआ कि पार्टी नेतृत्व येदियुरप्पा मामले में आडवाणी की थ्योरी पर अमल करने पर आमादा हो गया था।
आडवाणी की थ्योरी यह है कि भ्रष्टाचार का आरोप लगते ही बड़े से बड़े नेता का भी इस्तीफा ले लिया जाए, जबकि कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार कोई खास मुद्दा नहीं बन पाया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मैदान में डटी भाजपा के आंदोलन के दौरान ही कांग्रेस उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सत्ता को भी छीन कर ले गई।
कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान ही पार्टी खुद को कांग्रेस से पिछड़ती पाने लगी थी। तब प्रदेश पार्टी के नेता भी कहने लगे थे कि आडवाणी और अनंत कुमार की जिद का खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
बुधवार को जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि कभी कांग्रेस ने लिंगायत नेता वीरेंद्र पाटिल के साथ जो कुछ किया। अब वही भाजपा ने भी येदियुरप्पा के साथ दोहराया। पाटिल के साथ हुए अन्याय से लिंगायतों ने कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया था।
भाजपा का आरंभिक आकलन है कि पार्टी की टूट से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। भाजपा के वोट बैंक में लिंगायत सुमदाय का एक बड़ा हिस्सा येदियुरप्पा ले गए, जबकि एक हिस्सा कांग्रेस में वापस लौट गया। जबकि आदिवासी भाजपा से अलग हुए बी श्रीरामलु के साथ चले गए।
दूसरा ताकतवर समुदाय वोकालिंगा पहले से ही एचडी देवगौड़ा की जदएस के साथ रहा है। अल्पसंख्यक और दलित कांग्रेस के साथ चले गए। जबकि भाजपा के साथ कुछ सवर्ण जातियां ही रह गईं।
प्रदेश भाजपा की आंतरिक गुटबाजी भी पार्टी को ले डूबी, जबकि तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने से भी लोग भाजपा से नाराज थे। इसके साथ ही सत्ता विरोधी फैक्टर से भी नुकसान हुआ और भाजपा लगभग 20 साल पीछे चली गई। 90 के दशक में भी भाजपा विधायकों का आंकड़ा 40 के आसपास ही रहता था।
शिवसेना की खुशी से भाजपा का चढ़ा पारा
कर्नाटक में भाजपा की हार पर शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के खुशी व्यक्त करने से भाजपा स्तब्ध है।
महाराष्ट्र में भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा, ‘कर्नाटक के परिणाम निश्चित रूप से निराशाजनक है। लेकिन उससे भी ज्यादा हैरानी की बात हमारे सहयोगी दल के नेताओं द्वारा इस पर खुशी जताना है।’
सीमावर्ती क्षेत्र में कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच उपजे विवाद पर ठाकरे ने सत्ताधारी दल के प्रति नाराजगी व्यक्त की थी।