सोनिया पर लिखी किताब में क्या है विवादित, पढ़ें खास अंश

स्पेनिश लेखक जेवियर मोरी की किताब ‘एल साड़ी रोजो’, जिसका अंग्रेजी तर्जुमा ‘दी रेड साड़ी’ है, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जीवन का नाट्य रुपांतरण हैं। अंग्रेजी को छोड़ ये किताब दर्जन भर से अधिक भाषाओं में छप चुकी है। कांग्रेस के विरोध के कारण भारत में किताब लगभग नौ वर्षों से अनौपचारिक रूप से प्रतिबंधित है। किताब का पहला संस्करण 2008 में स्पेन में छपा था।
सत्ता परिवर्तन के बाद ये किताब भारत में भी प्रकाशित हो रही है। लेखक जेवियर मोरी का कहना है कि किताब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है, इसी वजह से यूपीए सरकार के कार्यकाल में उन्हें प्रकाशन से रोका गया।
जबकि कांग्रेस का कहना है कि लेखक ने कारोबारी कारणों से उस समय किताब का प्रकाशन नहीं किया। अब उन्हें फायदा दिख रहा है, इसलिए वे किताब का प्रकाशन कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि किताब में यदि आपत्तिजनक अंश हुए तो वह कोर्ट भी जा सकती है।
कांग्रेस के विरोध के कारण ही प्रकाशन से पहले ही किताब चर्चा में आ चुकी है। किताब में आखिर ऐसा क्या है, जिस पर कांग्रेस को आपत्ति है? अंग्रेजी पत्रिका आऊटलुक की वेबसाइट पर किताब के नमूने प्रकाशित किए गए हैं। यहां हम उन अंशों का अनुवाद दे रहे हैं, आप भी पढ़िए-
* क्या प्रेम ऐसे ही तत्क्षण, लगभग ढीठ होकर पनप सकता है? कैथेड्रल की पुरानी दीवारों की छांव में टहलते हुए जब राजीव (गांधी) ने सोनिया का हाथ अपने हाथों में लिया, वह उन्हें खींच भी न सकीं। उन नर्म और उष्ण हाथों में अरपरिमित, अगाध सुरक्षा और आनंद का बोध था।
* सोनिया के लिए बहुत ही कठिन घड़ी थी, लेकिन वह सही चीजें करने के लिए दृढ़ थीं और उन्हें सही तरीके से भी करना था। जब वह भारतीय राजदूत के आवास की सीढ़ियां चढ़ रही थीं, उनके पैर कांप रहे थे। इंदिरा (गांधी) और सोनिया के सबसे अच्छे मित्र पुपुल जयकर वहीं ठहरे थे। जयकर ने ही नेहरू का श्रद्धाजंलि कार्यक्रम आयोजित करने में सोनिया की मदद की थी।
* उन्होंने (राजीव गांधी ने) स्टेफानो मायनो से कहा, ‘मैं बहुत ही अहम बात करने आया हूं। मैं आपसे ये कहने आया हूं कि मैं आपकी बेटी से विवाह करना चाहता हूं।’
* दिल्ली का समाज बहुत ही छोटा और पारंपरिक था। ऐसा लगता मानों हर कोई एक दूसरे को जानता हो। अधिकांश सोनिया की सुंदरता की तारीफ करते, लेकिन कई उनके परिवार (मयके के) का जिक्र करते और कहते, ‘उसकी कोई हैसियत नहीं है।’ सोनिया के पहनावे पर भी व्यंग्य किया जाता और कहा जाता कि कि वे सभी का ध्यान बटोरने के लिए ऐसा कर रही हैं।
* शादी के एक दिन पहले ही मेहंदी की रस्म पर वे (सोनिया और उनका परिवार) बच्चन (अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन) के घर पहुंच गए। पारंपरिक तौर पर दुल्हा मेहंदी की रस्म में शामिल नहीं होता, लेकिन इंदिरा और राजीव दोनों ही वहां मौजूद थे। वे सोनिया के परिवार का स्वागत करने आए थे, जो इटली से आया था। (मेहंदी की रस्म हरिवंश राय ‘बच्चन’ के घर पर हो रही थी।)
* माहौल बहुत ही तनावपूर्ण था। 20 जून, 1975 को कांग्रेस ने बोट क्लब में एकता रैली आयोजित की थी। और संजय गांधी का विचार था कि मंच पर पूरा परिवार साथ हो। उन्होंने कहा कि हमें एक साथ दिखेंगे तो लोगों को अच्छा लगेगा। लेकिन राजीव ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ‘अगर तुम अपने निर्णय हम पर नहीं थोपोगे तो हमें अच्छा लगेगा।’
* सोनिया उठीं, कपड़े ठीक किए और फोन सुनने के लिए लिविंग रूम की ओर बढ़ गईं। उस ओर से आवाज ठीक ढंग से नहीं आ पा रही थी, लेकिन उन्होंने पहचान लिया कि आवाज उनकी सास (इंदिरा गांधी) के सचिव की है। उन्होंने ये मान लिया था कि कोई बुरी खबर ही है। उधर से आवाज आई, ‘मैडम…संजयजी का एक्सीडेंट हो गया है। वह नहीं रहे।’
* जब वह घर पहुंची, बच्चों ने पूछा, ‘दादी कैसी हैं?’ सोनिया फफक पड़ीं, बातें रुंधे गले में अटककर रह गईं। बोलने का मतलब ही नहीं रह गया था। राहुल ने उन्हें कसकर पकड़ लिया, प्रियंका दौड़ कर अंदर गईं और इन्हेलर उठाकर लाईं। हालांकि सोनिया का उसकी जरूरत नहीं थीं। वह धीरे-धीरे शांत हो गईं।
*राजीव समझ गए थे कि उनसे क्या पूछा जाने वाला है। वे कहने आए थे कि आप पसंद करें या ना करें लेकिन भारत का अगला प्रधानमंत्री आपको ही बनना पड़ेगा।